Highlights
- तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा किए एक साल हो गया है
- यह बैठक अल्लाह के आशीर्वाद से हमें मिली
- अल-जवाहिरी को मारने के लिए काबुल में ड्रोन हमला किया था
Afghanistan: तालिबान ने घोषणा की है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ शरिया के अनुसार ही अपनी राजनीतिक साझेदारी आगे बढ़ाएगा। तालिबान के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने घोषणा की है कि इस्लामिक अमीरात की विदेश नीति में शरिया का एक विशेष स्थान होगा। तालिबान के सूचना मंत्रालय ने हैबतुल्लाह अखुंदजादा के एक भाषण में यह जानकारी दी। तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा किए एक साल हो गया है। हालांकि इस अवधि के दौरान दुनिया के किसी भी देश ने इस्लामिक अमीरात की कार्यवाहक सरकार को मान्यता नहीं दी है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और विदेशों से फंडिंग में कटौती के कारण तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान एक गंभीर आर्थिक का सामना कर रहा है। अमेरिका सहित कई देशों ने भी तालिबान पर महिलाओं पर प्रतिबंधों में ढील देने और लड़कियों के लिए स्कूल खोलने का दबाव बढ़ा दिया है लेकिन तालिबान के ऊपर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। एक तरफ तालिबान बोलता है कि हम महिलाओं के शिक्षा का समर्थन करते हैं उन्हें शिक्षा के लिए स्वतंत्र रहने दिया गया है।
शरीयत कानून के तहत करेंगे डील
तालिबान की समाचार एजेंसी बख्तर के अनुसार, कंधार में लगभग 3,000 आदिवासी नेताओं, अधिकारियों और धार्मिक विद्वानों के बीच हबतुल्ला अखुंदजादा ने इस्लामिक अमीरात की विदेश नीति के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यह बैठक अल्लाह के आशीर्वाद से हमें मिली है। इस बैठक को आजादी के जोड़कर हमे देखना होगा, जो हमने अपने मुजाहिदीन (लड़ाकू) के खून से हासिल की है। अखुंदजादा ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस्लामिक शरिया के हिसाब से ही काम करेंगे। अगर शरीयत इसकी इजाजत नहीं देती तो हम किसी और देश से डील नहीं करेंगे। तालिबान के सत्ता में आने के बाद बुलाई गई यह दूसरी बैठक थी।
अमेरिका से लगाया उम्मीद
तालिबान इन दिनों देश की जमा संपत्ति की वापसी के लिए अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत कर रहा है। यह अफगानिस्तान के विकास के साथ बैंकिंग क्षेत्र को पुनर्जीवित करने की भी उम्मीद है। हालांकि अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि तालिबान को अभी भी अमेरिका से रकम प्राप्त करने के रास्ते में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। पिछले महीने अमेरिका ने अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी को मारने के लिए काबुल में ड्रोन हमला किया था। जिसके बाद अमेरिका ने आरोप लगाया कि तालिबान ने जवाहिरी को पनाह देकर दोहा समझौते का उल्लंघन किया है। वहीं तालिबान ने भी इसी समझौते का हवाला देते हुए अपनी जमीन पर हवाई हमले का विरोध किया था।
कौन हैं हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा
हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा को 2016 में तालिबान का सर्वोच्च कमांडर नियुक्त किया गया था। इससे पहले, अखुंदज़ादा दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान के एक शहर कुचलक में एक मस्जिद में पढ़ाते थे। इसी मदरसे से वह तालिबान के संपर्क में आया और अपनी विद्वता के बल पर तालिबान के शीर्ष पद पर पहुंचा। अखुंदजादा इस्लामी कानून के महान विद्वान माने जाते हैं। तालिबान के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर इसका फैसला अंतिम होता है। कई बार उनकी मौत का दावा भी किया गया है, लेकिन हर बार वह खुद इन दावों का खंडन करने के लिए बयान जारी करते रहे हैं।