नई दिल्लीः ताइवान ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के बीच “सौहार्दपूर्ण” बातचीत पर चीन की “नाराजगी” पूरी तरह अनुचित है, क्योंकि धमकियों और डराने-धमकाने से कभी दोस्ती नहीं बढ़ती। ताइवान के विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एक दिन पहले ही चीन ने मोदी और लाई के बीच संदेशों के आदान-प्रदान पर विरोध जताया था। चीन ने कहा था कि वह ताइवान तथा बीजिंग के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच सभी आधिकारिक संपर्कों का विरोध करता है।
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर कहा, “दो लोकतंत्रों के नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण बातचीत पर चीन की नाराजगी पूरी तरह से अनुचित है। आतंक और धमकी कभी दोस्ती को बढ़ावा नहीं देती।” उसने कहा, “ताइवान पारस्परिक लाभ और साझा मूल्यों के आधार पर भारत के साथ साझेदारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।” बुधवार को लाई ने मोदी को लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की जीत पर बधाई दी थी और कहा था कि ताइवान दोनों पक्षों के बीच “तेजी से बढ़ते” संबंधों को और बढ़ाने के लिए उत्सुक है। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनाव में जीत पर मेरी हार्दिक बधाई। हम तेजी से बढ़ती ‘ताइवान-भारत साझेदारी’ को और आगे ले जाने, व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं, ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए योगदान दिया जा सके।”
ये था मामला
मोदी ने इस बधाई संदेश का जवाब देते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘लाई चिंग-ते, आपके गर्मजोशी भरे संदेश के लिए धन्यवाद। मैं ताइवान के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक तथा तकनीकी साझेदारी की दिशा में काम करते हुए और अधिक घनिष्ठ संबंधों की आशा करता हूं।” चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इन संदेशों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि चीन ने इस पर भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया है।
चीन ने ताइवान को बताया अविभाज्य हिस्सा
माओ ने कहा, “ताइवान क्षेत्र के ‘राष्ट्रपति’ जैसी कोई चीज नहीं है।” उन्होंने कहा, “जहां तक आपके प्रश्न की बात है, चीन ताइवान के अधिकारियों और चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच सभी प्रकार की आधिकारिक बातचीत का विरोध करता है। दुनिया में सिर्फ एक चीन है। ताइवान पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है।” माओ ने कहा, “एक-चीन सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त मानदंड है तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस पर आम सहमति है।” उन्होंने कहा, “भारत ने इस पर गंभीर राजनीतिक प्रतिबद्धताएं व्यक्त की हैं और उससे अपेक्षा की जाती है कि वह ताइवान के अधिकारियों की राजनीतिक चालों को पहचाने, सतर्क रहे तथा उनका विरोध करे। चीन ने इसे लेकर भारत के सामने अपना विरोध दर्ज कराया है। (भाषा)
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