पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के साथ बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा समाप्त होने के बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि शीर्ष अदालत के पास विपक्ष और सरकार के बीच चुनाव के मुद्दे पर मध्यस्थ के रूप में काम करने की शक्ति नहीं है। द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शरीफ ने अपने गठबंधन सहयोगियों से मुलाकात के बाद टेलीविजन पर दिए संबोधन में कहा, सुप्रीम कोर्ट का काम पंचायत का नहीं है, बल्कि संविधान और कानून के मुताबिक फैसले देना है।
विधानसभाओं और आम चुनाव साथ कराने पर होनी है सुनवाई
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने बुधवार को गठबंधन सहयोगियों की बैठक बुलाई थी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेशित पीटीआई के साथ बातचीत की समय सीमा नजदीक आ रही है। बता दें कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई करने वाली है, जिसमें राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के आम चुनाव एक साथ कराने की मांग की गई है। अपने संबोधन के दौरान, प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा कि संसदीय समिति एक ही दिन देश भर में चुनाव कराने के संबंध में सत्तारूढ़ गठबंधन और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के बीच बातचीत की शर्तों पर चर्चा करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत के दरवाजे बंद नहीं होने चाहिए।
"संसद ने उस पीठ के फैसले को स्वीकार नहीं किया"
शरीफ ने कहा, हम तय कर सकते हैं कि वार्ता का प्रारूप क्या होगा। संसदीय समिति इसके लिए जगह बना सकती है। द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, प्रीमियर ने कहा कि संसद ने अतीत में चुनौतियों का सामना किया है और सर्वोच्च न्यायालय के संबंध में संवैधानिक और कानूनी कदम उठाए हैं। स्थिति अभी भी चुनौतीपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच के फैसले का हवाला देते हुए, जिसने 14 मई को पंजाब विधानसभा के चुनाव कराने का आदेश दिया, उन्होंने कहा कि संसद ने बेंच के फैसले को स्वीकार नहीं किया। द न्यूज की खबर के मुताबिक, पीठ के सदस्यों से जुड़े विवादों का जिक्र करते हुए शरीफ ने कहा, संसद ने उस पीठ के फैसले को स्वीकार नहीं किया। सर्वसम्मत फैसला यह था कि हम चार-तीन फैसले को स्वीकार करते हैं।
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