Indo Pacific Region: चीन की बढ़ती दादागिरी के बीच भारत और अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अधिक सजग हो गए हैं। दोनों ही देश इस मामले में अब विशेष ध्यान दे रहे हैं। अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध लगातार मजबूत हुए हैं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के साथ आने से द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को एक नई गति मिली है। संधू ने शनिवार को कोलंबिया विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स’ में ‘इंडिया एट 75’ सम्मेलन में दिए भाषण के दौरान यह टिप्पणी की।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच लगातार संपर्क और मंत्री व उच्च स्तर पर जारी विचार-विमर्श ने संबंधों को समग्र दिशा प्रदान की है। संधू ने कहा, “हम अपने नेताओं के दृष्टिकोण को लागू करने के प्रयास कर रहे हैं। हमारे द्विपक्षीय संबंध तेजी से आगे बढ़े हैं।” उन्होंने कहा, “क्वाड (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान का सामरिक सुरक्षा समूह), आईपीईएफ (हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा) और आई2यू2 (भारत, इजराइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के बीच अंतर सरकारी आर्थिक सहयोग मंच) के जरिये हिंद-प्रशांत में साथ आने से हमारी सामरिक साझेदारी को एक नयी गति मिली है।”
अमेरिका ने भारत की मदद की बात कही
वहीं पेंटागन के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने कहा, अमेरिका सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में “व्यापक व स्थिर भूमिका” निभाने में भारत की मदद करेगा। जनवरी 2021 में सत्ता संभालने के बाद से बाइडन प्रशासन ने भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने शनिवार को कहा, “भारत तेजी से रक्षा आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहा है। मेरा मानना है कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा प्रदान करने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है और उसकी इस भूमिका को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी व्यापक रूप दिया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि हम भारत के साथ ऐसी साझेदारी करें, ताकि वह इस क्षेत्र में व्यापक व स्थिर भूमिका निभा सके।” अधिकारी के मुताबिक, “हम अमेरिकी और भारतीय सेना के बीच अंतर-संचालन प्रकिया को आगे बढ़ाने के तरीकों पर काफी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मैं यहां जिस पहल की बात कर रहा हूं, वह सेना के तीनों अंगों के बीच अभ्यास को लेकर है।” उन्होंने कहा, “हमारे विचार से इसके जरिये दोनों देशों की सेनाएं भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकेंगी। इसके लिए दोनों पक्षों की संयुक्त प्रतिक्रिया की आवश्यकता होगी।”
हालांकि, वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने यह बताने से परहेज किया कि दोनों देश अपनी साझा चुनौतियों का जवाब कैसे देंगे। अतीत में कई प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भारत और अमेरिका की सेनाओं ने राहत एवं बचाव कार्यों में आपस में समन्वय किया है।