Friday, November 22, 2024
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श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारत से जुड़े इस मुद्दे पर मांगा सभी दलों का समर्थन, जानें पूरा मामला

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत से जुड़े एक मामले में सभी राजनीतिक दलों को मिलकर एक साथ सहयोग करने की अपील की है। यह अपील करने से पहले वह नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुके हैं।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: July 27, 2023 8:19 IST
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे पीएम मोदी से मिलते हुए।- India TV Hindi
Image Source : AP श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे पीएम मोदी से मिलते हुए।

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत से जुड़े एक मामले में सभी दलों का समर्थन मांगा है। मगर आप सोच रहे होंगे कि रानिल विक्रमसिंघे को आखिर सभी दलों के समर्थन की जरूरत क्यों पड़ गई। आखिर किसके लिए वह सभी राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील कर रहे हैं। यह अपील करने से पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिल चुके हैं। आइए अब आपको बातते हैं कि आखिर पूरा मामला है क्या...?

दरअसल श्रीलंका में तमिलों को अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल है। अभी उन्हें बहुत सारे अधिकार प्राप्त नहीं हैं। इसलिए श्रीलंका में लंबे समय से संविधान में संशोधन किए जाने की मांग उठ रही है। ताकि तमिलों को भी उनके अधिकार मिल सकें। साथ ही साथ सत्ता में भी उनकी भागीदारी हो सके। अभी तमिलों की सत्ता में कोई सहभागिता नहीं होती है। तमिलों और सिंघलियों के बीच भी मतभेद रहता है। इसलिए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि अल्पसंख्यक तमिलों के जातीय मेल-मिलाप के जटिल मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को चर्चा में भाग लेना चाहिए, क्योंकि संविधान के 13वें संशोधन (13ए) का पूर्ण क्रियान्वयन पूरे देश के लिए अहम है। विक्रमसिंघे इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आयोजित सर्वदलीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भारत की यात्रा तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ चर्चा करने के बाद यह बैठक बुलायी। राष्ट्रपति द्वारा यह बैठक सरकार के राष्ट्रीय सुलह कार्यक्रम और इसकी आगे की राह पर चर्चा के लिए बुलाई गई।।

श्रीलंका में होने वाला है संविधान में 13वां संशोधन

दिल्ली यात्रा से पहले, विक्रमसिंघे ने उत्तर और पूर्वी प्रांतों में प्रतिनिधित्व करने वाली तमिल पार्टियों के साथ एक बैठक में सर्वदलीय सहमति के साथ श्रीलंकाई संविधान के 13वें संशोधन (13ए) को प्रांतों को पुलिस शक्ति दिए बिना पूर्ण रूप से लागू करने पर सहमति जतायी थी। मुख्य तमिल पार्टी ‘टीएनए’ और मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने बैठक में हिस्सा लिया। कुछ दलों ने इस बैठक को विक्रमसिंघे की राजनीतिक नौटंकी बताया था। राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि 13(ए) का पूर्ण क्रियान्वयन पूरे देश के लिए अहम है। इसलिए सभी राजनीतिक दलों को वार्ता में भाग लेना चाहिए।

पीएम मोदी ने जताई 13 ए लागू होने की उम्मीद

सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि श्रीलंका का विपक्ष बंटा हुआ है। राष्ट्रीय सुलह पर सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के लिए संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनीतिक दलों और स्वतंत्र समूहों के नेताओं को निमंत्रण दिया गया, इनमें से कुछ विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि इस बैठक के एजेंडे के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में विक्रमसिंघे के साथ बातचीत के दौरान उम्मीद जताई थी कि श्रीलंकाई नेता 13ए को लागू करने और प्रांतीय परिषद चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध होंगे। उन्होंने तमिलों के लिए सम्मान के साथ जीवन सुनिश्चित करने का आग्रह किया था। अगर यह संशोधन लागू होता है तो तमिलों को उनके अधिकार मिल जाएंगे। (भाषा)

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