Highlights
- प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने दिया इस्तीफा
- सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा
- झड़प में सत्तारूढ़ पार्टी के एक सांसद की मौत
Sri Lanka Violent Clashes: श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को विपक्ष के दबाव और जनता के प्रदर्शन के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वहां सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच खूब झड़प हुई जिसमें राजपक्षे बंधुओं की सत्तारूढ़ पार्टी के एक सांसद और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) की मौत हो गई।
बताया जा रहा है कि भीड़ ने पूर्व मंत्री जॉन्सटन फर्नांडो के माउंट लाविनिया इलाके में मौजूद आलीशान घर में भी आग लगा दी। उनके परिवार को बमुश्किल बचाया गया। एक सांसद सनथ निशांथा के घर भी आग लगाने की कोशिश की गई। देर शाम मिली जानकारी के मुताबिक, हिंसा में अब तक कुल चार लोगों की मौत हुई है, जबकि 119 लोग घायल हैं।
हत्या या खुद को गोली मारी?
पुलिस ने बताया कि पोलोन्नारुआ जिले से श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के सांसद अमरकीर्ति अतुकोराला को सरकार विरोधी समूह ने पश्चिमी शहर नित्तम्बुआ में घेर लिया। वहीं, लोगों का कहना है कि सांसद की एसयूवी से गोली चली थी और जब आक्रोशित भीड़ ने उन्हें कार से उतारा तो उन्होंने भागकर एक इमारत में शरण ली। लोगों का कहना है कि सांसद ने स्वयं अपनी रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने बताया कि इमारत को हजारों लोगों ने घेर रखा था और बाद में सांसद तथा उनका पीएसओ मृत मिला।
कैसे भड़क गई हिंसा?
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला किए जाने के बाद पूरे देश में हिंसा भड़क गई है। लोगों ने राजधानी से लौट रहे राजपक्षे समर्थकों पर गुस्सा उतारा। उन्होंने उनके वाहनों को रोक लिया और कई शहरों में उन पर पर हमला किया। महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय के सामने अपने समर्थकों द्वारा सरकार विरोधियों पर हमला किए जाने के कुछ घंटे बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस हमले में कम से कम 174 लोग घायल हुए हैं।
घटना के बाद राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया है और राजधानी में सेना तैनात कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन से वर्ष 1948 में आजादी मिलने के बाद से अब तक के समय में श्रीलंका अपने सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। यह संकट विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से उत्पन्न हुआ है जिसका अभिप्राय है कि देश खाद्यान्न, ईंधन के आयात के लिए भगुतान नहीं कर सकता।
दिवालिया होने की कगार पर श्रीलंका
वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है। नौ अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, क्योंकि सरकार के पास आयात के लिए धनराशि खत्म हो गई है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं।