Highlights
- श्रीलंका में संसद ने नए राष्ट्रपति को किया निर्वाचित
- रानिल विक्रमसिंघे बने देश के नए राष्ट्रपति
- आर्थिक तंगी के कारण संकट में है श्रीलंका
Sri Lanka New President: श्रीलंका की संसद ने रानिल विक्रमसिंघे को देश का नया राष्ट्रपति निर्वाचित किया है। श्रीलंका में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान आज सुबह दस बजे शुरू हुआ था। विक्रमसिंघे (73) को 225 सदस्यीय सदन में 134 सदस्यों का मत हासिल हुआ है। देश में अब तक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के बाद लोग सड़कों पर उतर आए थे और राजनीतिक उथल पुथल तथा देश में फैले अराजकता के माहौल के बीच गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राष्ट्रपति चुनाव गुप्त मतदान के जरिए हुआ। मुकाबला कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, डलास अल्हाप्पेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच था।
वह महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफे के बाद इस पद को संभाल रहे थे। वहीं जब गोटबाया राजपक्षे ने देश छोड़कर भागने के बाद राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दिया, तो कार्यकारी राष्ट्रपति के तौर पर इस पद को भी संभाल रहे थे। देश में राष्ट्रपति चुनाव ऐसे वक्त पर हुए हैं, जब श्रीलंका 1948 में आजाद के होने के बाद से अपने अब तक के सबसे बडे़ आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। बता दें सांसदों ने मंगलवार को उम्मीदवारों के रूप में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सहित तीन लोगों के नामों का प्रस्ताव दिया था। श्रीलंका की संसद ने 44 वर्षों में पहली बार बुधवार को त्रिकोणीय मुकाबले में सीधे तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव किया है। जिसमें अंतिम क्षणों में राजनीतिक पैंतरेबाजी से कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर दुल्लास अल्हाप्पेरुमा की बढ़त का संकेत मिला था। विपक्षी दलों के साथ-साथ उनकी मूल पार्टी के अधिकतर सांसदों का उन्हें समर्थन मिला है।
अल्हाप्पेरुमा के समर्थन में थी एसएलपीपी
एसएलपीपी के अध्यक्ष जी एल पीरिस ने मंगलवार को कहा था कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के अधिकतर सदस्य इससे अलग हुए गुट के नेता अल्हाप्पेरुमा को राष्ट्रपति पद के लिए और प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा को प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने के पक्ष में हैं। हालांकि यहां के विश्लेषकों का मानना था कि 73 वर्षीय विक्रमसिंघे आगे चल रहे हैं। सत्तारूढ़ एसएलपीपी के समर्थन के बिना, विक्रमसिंघे को सफलता नहीं मिलती क्योंकि उनके पास संसद में केवल उनकी सीट है।
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम में, प्रमुख विपक्षी दल एसजेबी के नेता प्रेमदासा ने मंगलवार को अल्हाप्पेरुमा का समर्थन किया था। अल्हाप्पेरुमा ने उनका समर्थन करने और राष्ट्रपति चुनाव से हटने के लिए प्रेमदासा का आभार व्यक्त किया था। बाद में, अल्हाप्पेरुमा और प्रेमदासा ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया। मीडिया के अनुसार, अल्हाप्पेरुमा के पक्ष में एक अन्य घटनाक्रम में, श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) ने चुनाव में उन्हें वोट देने का फैसला किया था। टीपीए नेता सांसद मनो गणेशन ने कहा कि तमिल प्रोग्रेसिव एलायंस (टीपीए) ने भी सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुनाव में अल्हाप्पेरुमा का समर्थन करने का फैसला किया था।