Highlights
- एक्टिंग प्रेसिडेंट रानिल विक्रमसिंघे की दावेदारी मजबूत
- राष्ट्रपति चुनाव में तीन उम्मीदवारों के बीच टक्कर
Sri Lanka President Election: श्रीलंका में आज का दिन बहुत अहम है, जनता के संघर्ष के बाद पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) देश छोड़कर भाग गए और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, अभी उनका कार्यकाल नवम्बर 2024 तक बचा हुआ है, ऐसे में श्रीलंका के संविधान के अनुसार इस बचे हुए कार्यकाल के लिए श्रीलंका की संसद एक नए राष्ट्रपति का आज चुनाव करेगी, श्रीलंका में जनता ही सीधे अपना राष्ट्रपति चुनती है। 1978 के बाद ये दूसरी बार है कि सांसद नए राष्ट्रपति का चुनाव करने जा रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव के 3 प्रमुख उम्मीदवार
- UNP के नेता और एक्टिंग प्रेसिडेंट राणिल विक्रमसिंघे
- सत्तारूढ़ SLPP के MP डदल्लास अलहापेरुम्मा
- JVP पार्टी के सांसद अनुरा कुमारा दिसानायके
अनूरा कुमारा की पार्टी के पास सिर्फ 3 सांसद
चूंकि अनूरा कुमारा की पार्टी के पास सिर्फ 3 सांसद हैं इसीलिए ऐसा लगता है कि वे दौड़ से पहले ही बाहर हो गए हैं। ऐसे में विक्रमसिंघे और दल्लास अलहापेरुम्मा के बीच टक्कर देखने को मिल सकती है।विक्रमसिंघे गोटाबाया के चुने हुए हैं, इसीलिए जनता उन्हें पसंद नहीं कर रही लेकिन चूंकि सत्तारूढ़ दल के पास बहुमत है इसीलिए राणिल का पलड़ा भारी लग रहा है लेकिन जो उन्हें टक्कर दे रहे हैं वे खुद ही सत्तारूढ़ दल SLPP के MP हैं, कुछ समय पहले तक राजपक्षे परिवार के करीबी रहे हैं ऐसे में सत्तारूढ़ SLPP में टूट की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता
225 सांसद डालेंगे वोट
225 सांसदों वाली श्रीलंका की संसद में स्पीकर को मिलाकर सभी 225 MP राष्ट्रपति के चयन के लिए वोट डालेंगे। सत्तारूढ़ SLPP के गठजोड़ के पास 145 MP का समर्थन है जबकि विपक्षी दल SJB के पास 54 MP हैं, बचे हुए सांसद बाकी छोटे छोटे दलों के हैं। विपक्षी दल SJB के नेता सजित प्रेमदासा ने इन वक्त पर राष्ट्रपति पद से अपना नामांकन वापस लेते हुए दल्लास अलहापेरुम्मा को सपोर्ट करने का फैसला किया है
30 से ज्यादा सांसदों ने लहापेरुम्मा को समर्थन देने का ऐलान किया
पब्लिक सेंटीमेंट्स को देखते हुए SLPP को अब तक सपोर्ट करने वाले 30 से ज्यादा सांसदों ने दल्लास अलहापेरुम्मा को सपोर्ट करने का एलान किया है वहीं बाकी बचे विपक्षी दल भी अलहापेरुम्मा को सपोर्ट देने की बात कर रहे हैं। चूंकि मतदान सीक्रेट बैलेट से होता है इसीलिए कोई भी सांसद अपनी पसंद का नेता चुन सकता है, भारत की तरह श्रीलंका में किसी तरह के व्हिप जारी करने या दल बदल कानून का कोई प्रावधान नहीं है।
ऐसे होता है राष्ट्रपति चुनाव
संसदीय महासचिव आज रिटर्निंग ऑफिसर की भूमिका में होंगे, सबसे पहले सभी MP's को खाली बैलेट बॉक्स दिखाया जायेगा फिर उसे सबके सामने सील कर दिया जायेगा। इसके बाद एक एक कर रिटर्निंग ऑफिसर MP का नाम बुलाएंगे और उन्हें बैलेट पेपर दिया जायेगा जिसमें कैंडिडेट के नाम और उनके आगे एक बॉक्स बना होगा, हर MP को कैंडिडेट को प्राथमिकता देते हुए वोट देना होगा।
सांसदों के आधे से ज्यादा वोट पाने वाले विजेता
मतदान के आखिर में एक बार फिर उन सांसदों का नाम फिर से पुकारा जायेगा जिन्होंने वोट नहीं दिया है, अगर वे फिर भी वोट देने नहीं आते तो ये मान लिया जाएगा कि वे गैरहाजिर हैं।मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मतगणना का काम पूरा होगा जिसके पास भी सांसदों के आधे से ज्यादा वोट होंगे वो विजयी होगा। अगर किसी के पास भी कुल पड़े वोट के आधे से ज्यादा वोट नहीं हैं तो सबसे आखिरी उम्मीदवार को एलिमिनेट कर दिया जायेगा और उसके बैलेट पर बाकी उम्मीदवारों के प्रीफरेंस को काउंट कर उन वोटों को बचे हुए उम्मीदवारों में बांट दिया जायेगा।
रिटर्निंग ऑफिसर के पास लॉटरी सिस्टम का भी अधिकार
इस तरह फाइनल उम्मीदवार जो कुल पड़े वोटों से आधे से ज्यादा हासिल कर लेगा उसे नया राष्ट्रपति नियुक्त किया जाएगा। अगर इन तमाम प्रक्रियाओं के बाद भी किसी भी उम्मीदवार को नंबर्स नहीं आते तो रिटर्निंग ऑफिसर के पास ये अधिकार होगा कि वे लॉटरी सिस्टम से बचे हुए नामों में से किसी एक नाम को चुने और उन्हें नया राष्ट्रपति घोषित कर दिया जाएगा।इतना तय है कि अगर दल्लास अलहापेरुम्मा राष्ट्रपति बनते हैं तो संभव है कि लोगों का सड़कों पर जारी संघर्ष थम जाए लेकिन अगर राणिल विक्रमसिंघे जीत जाते हैं तो आने वाले दिनों में एक बार फिर श्रीलंका की सड़कों पर जन आंदोलन देखने को मिल सकता है।