Highlights
- एक्सपर्ट्स ने कहा कि मौजूदा हालात का चीन और श्रीलंका के रिश्तों पर असर पड़ेगा।
- चीन का किसी एक धड़े की तरफ झुकाव नहीं रहा है और उसके सभी से अच्छे रिश्ते हैं: एक्सपर्ट
- यह संकट विकासशील देशों की ओर देख रहे चीनी निवेशकों के लिए एक सबक भी है: एक्सपर्ट
Sri Lanka News: श्रीलंका में पिछले कई महीनों से बवाल मचा हुआ है और चीन को भी इसका एक बड़ा कारण माना जा रहा है। इस बीच चीन ने श्रीलंका के बीजिंग समर्थक राजपक्षे बंधुओं के नाटकीय पतन पर भले ही चुप्पी साध रखी हो, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि वहां फैली अराजकता के कारण द्विपक्षीय संबंधों और चीन द्वारा बुनियादी ढांचे में किए गए व्यापक निवेश पर ‘बड़ा प्रभाव’ पड़ सकता है। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अपने आवास में प्रदर्शनकारियों के घुसने के कुछ दिन बाद सैन्य विमान के जरिए देश छोड़ चुके हैं।
‘चीन और श्रीलंका के रिश्तों पर असर पड़ेगा’
राजपक्षे ने देश के बदतर आर्थिक संकट को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बुधवार को पद से इस्तीफा देने का वादा किया था। श्रीलंका में महीनों से लोग रोजाना बिजली गुल होने और डीजल-पेट्रोल, खाने-पीने व दवाओं जैसी बुनियादी जरूरतों की किल्लत से जूझ रहे हैं। हांगकांग से प्रकाशित होने वाले 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने शंघाई की फुदान यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ लिन मिंगवांग के हवाले से कहा, ‘कुछ समय के लिए ही सही श्रीलंका के साथ चीन के संबंधों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।’
‘राजपक्षे परिवार की वापसी की उम्मीद नहीं’
मिंगवांग ने कहा, ‘श्रीलंका के राजनीतिक हलकों में राजपक्षे परिवार का प्रभाव कमजोर होगा और निकट भविष्य में उनकी वापसी की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।’ एक ओर जहां हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच बुधवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़ चुके हैं, तो दूसरी ओर उनके भाई तथा पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को शुरुआत में जनाक्रोश के बीच मिलिट्री बेस में शरण लेनी पड़ी थी। महिंदा राजपक्षे को भारत की सुरक्षा चिंताओं को दरकिनार कर श्रीलंका में चीन के व्यापक निवेश को बढ़ावा देने वाले नेता के तौर पर देखा जाता है।
‘चीनी निवेशको को नुकसान हो सकता है’
चीन ने शक्तिशाली राजपक्षे परिवार के पतन पर सोची-समझी चुप्पी साध रखी है, जिसके देश में चीनी निवेश का मुख्य समर्थक माना जाता है। श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से अब तक के सबसे बदतर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। लिन ने यह चेतावनी भी दी कि श्रीलंका में संकट के कारण चीनी निवेशकों को नुकसान हो सकता है। श्रीलंका में बढ़ती मुद्रास्फीति, भारी कर्ज और पैसे के गलत इस्तेमाल से उपजा यह संकट विकासशील देशों की ओर देख रहे चीनी निवेशकों के लिए एक सबक भी है।
‘चीन का किसी एक धड़े की तरफ झुकाव नहीं’
मिंगवांग ने कहा कि श्रीलंका में चीन के निवेश को कुछ नुकसान हो सकता है। ‘शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज’ के सीनियर फैलो लियू ज़ोंगयी ने कहा कि बीजिंग ने न केवल राजपक्षे परिवार के साथ बल्कि श्रीलंका में हर राजनीतिक दल के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बना रखे हैं। लियु ने कहा कि चीन का किसी एक धड़े की तरफ झुकाव नहीं रहा है। इसलिए श्रीलंका की पिछली सभी सरकारें चीन के साथ मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध बनाए रखने की इच्छुक रहीं।