Highlights
- श्रीलंका में दवाओं की भारी कमी हो गई है।
- लोगों को जरूरी दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं।
- विदेश में बसे श्रीलंकाइयों से मांगी जा रही मदद।
कोलंबो: श्रीलंका में पिछले कुछ महीनों से बवाल मचा हुआ है और अब तो देश के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे भी विदेश भाग गए हैं। इस खूबसूरत देश में इस समय डीजल-पेट्रोल से लेकर खाने-पीने के सामान तक, बिजली से लेकर दवाओं तक की कमी है। इस बीच श्रीलंका में डॉक्टर लोगों को सलाह दे रहे हैं कि देश में आर्थिक संकट के चलते दवाओं और बाकी के जरूरी सामान की सप्लाई कम हो रही है, इसलिए वे बीमार होने से बचें ताकि उन्हें कोई दिक्कत न हो।
कई लोगों को नहीं मिल पा रही हैं जरूरी दवाएं
देश के कुछ डॉक्टर दवाओं की कमी को पूरा करने के लिए डोनेशन मांग रहे हैं, और साथ ही फंड की व्यवस्था के लिए सोशल मीडिया का भी रुख कर रहे हैं। कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं जो विदेशों में रह रहे श्रीलंकाई लोगों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। देश में जारी आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के खत्म होने का अभी तक कोई संकेत नहीं है। 15 साल की हसीनी वसाना को वह दवा मिलनी मुश्किल हो रही है जो उसे ट्रांसप्लांट हुई किडनी को बचाने के लिए चाहिए।
कैंसर अस्पताल में भी दवाओं की भारी किल्लत
हसीनी का 9 महीने पहले किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। उसे जिंदगी भर के लिए प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करने वाली दवा चाहिए जिससे कि उसका शरीर ट्रांसप्लांट किए गए अंग के साथ तालमेल बिठा ले। हसीनी की बड़ी बहन इशारा थिलिनी ने कहा, ‘हमें अस्पताल के लोगों ने कहा है कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें इसकी दवा दोबारा कब मिलेगी।’ कैंसर हॉस्पिटल्स के पास भी लोगों के इलाज के लिए दवाओं का स्टॉक नहीं है।
‘डोनेशन की बदौलत चल रहा है हमारा अस्पताल’
श्रीलंका मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष समथ धर्मरत्ने ने कहा, ‘बीमार न हों, घायल न हों, ऐसा कुछ भी न करें जिससे आपको बेवजह इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़े। अभी हालात काफी गंभीर हैं।’ श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक किडनी अस्पताल के प्रमुख डॉ. चार्ल्स नुगावेला ने कहा कि उनका अस्पताल डोनेशन की बदौलत चल रहा है, लेकिन उन्होंने केवल उन रोगियों को दवा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है जिनकी बीमारी उस अवस्था में पहुंच गई है जहां उन्हें डायलिसिस की जरूरत है।