Highlights
- श्रीलंका में राजनीतिक संकट पहले से भी ज्यादा गहरा गया है।
- विक्रमसिंघे ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है।
- राजपक्षे अपनी पत्नी समेत श्रीलंका से निकल गए हैं।
Sri Lanka News: श्रीलंका में पिछले कुछ महीनों से मचे हुए बवाल के हाल फिलहाल थमने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश से भागने के बाद आंदोलन के खत्म होने की उम्मीद थी, लेकिन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाए जाने के बाद नए सिरे से प्रदर्शन शुरू हो गए। देश की राजधानी कोलंबो में गुस्साए हुए प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय पर धावा बोल दिया, वहीं देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गयी। इससे कुछ घंटे पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश के भयावह आर्थिक संकट के बीच सेना के विमान से मालदीव भाग निकले।
‘नए राष्ट्रपति के लिए मतदान 20 जुलाई को’
बुधवार को इस्तीफा देने का वादा करने वाले 73 वर्षीय राजपक्षे ने देश छोड़कर जाने के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया। इसके बाद देश में राजनीतिक संकट गहरा गया तथा नये सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये। श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने कहा कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने उन्हें टेलीफोन पर जानकारी दी कि वह वादे के मुताबिक बुधवार को इस्तीफा दे देंगे। हालांकि बाद में यह भी खबर आई कि राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं दिया। अभयवर्धने ने नागरिकों से शांति की अपील करते हुए कहा कि नये राष्ट्रपति के लिए मतदान 20 जुलाई को होगा।
विक्रमसिंघे ने किया इमरजेंसी का ऐलान
वहीं, विक्रमसिंघे ने टेलीविजन पर जारी विशेष बयान में देशभर में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया और शहर में तथा आसपास के इलाकों में कर्फ्यू भी लगा दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें लोकतंत्र पर मंडरा रहे इस फासीवादी खतरे को समाप्त करना चाहिए। हम सरकारी संपत्ति को बर्बाद नहीं होने दे सकते। राष्ट्रपति कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय और प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में उचित सुरक्षा बहाल होनी चाहिए। मेरे दफ्तर में मौजूद लोग कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी अदा करने से मुझे रोकना चाहते हैं। हम उन्हें अपने संविधान को नुकसान नहीं पहुंचाने दे सकते।’
‘मैंने आपातकाल और कर्फ्यू की घोषणा की है’
विक्रमसिंघे ने आगे कहा, ‘कुछ मुख्यधारा के राजनेता भी इन उग्रवादियों का समर्थन करते प्रतीत होते हैं। इसलिए मैंने राष्ट्रव्यापी आपातकाल और कर्फ्यू की घोषणा की है।’ उन्होंने कहा कि उनके दफ्तर में प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के बाद वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पश्चिमी प्रांत में इमरजेंसी और कर्फ्यू की घोषणा कर रहे हैं। कार्यवाहक राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सैन्य कमांडरों और पुलिस प्रमुख को आदेश दिया है कि व्यवस्था बहाल करने के लिए जो कुछ जरूरी है, किया जाए। विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने सुरक्षा बलों को हालात सामान्य करने के लिए आपातकाल और कर्फ्यू लगाने का निर्देश दिया है।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर छोड़े आंसू गैस के गोले
सशस्त्र बलों के प्रमुखों की एक समिति को यह काम करने की जिम्मेदारी दी गयी है जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होगा। हालांकि इस घटनाक्रम से सरकार विरोधी वे प्रदर्शनकारी और नाराज हो गए जो देश में अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री दोनों का इस्तीफा चाहते हैं। हजारों प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को आपातकाल को धता बताते हुए और लंका के झंडे लहराते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव किया। पुलिस ने अवरोधक तोड़कर प्रधानमंत्री कार्यालय में घुसने वाले प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े।
प्रदर्शनकारियों पर जमकर बरसे विक्रमसिंघे
विक्रमसिंघे ने कहा कि वह खुफिया सेवाओं को मिली जानकारी से हैरान हैं। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति के देश छोड़कर जाने और नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए कदम उठाये जाने के बावजूद कुछ प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जे की योजना बनाई और राष्ट्रपति को मालदीव जाने के लिए एयरफोर्स का प्लेन उपलब्ध कराने पर एयरफोर्स के कमांडर के आवास को घेर लिया। उन्होंने नेवी के कमांडर और सैन्य कमांडर के आवास को भी घेरने का फैसला किया। इन प्रदर्शनकारियों ने देश को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की।’
‘वे अपना खुद का उम्मीदवार चाहते हैं’
विक्रमसिंघे ने कहा, ‘उसी समय, उन्होंने संसद को भी घेरने की योजना बनाई थी। ये लोग अब प्रधानमंत्री के कार्यालय के आसपास प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके यहां आने की कोई वजह नहीं है। वे मुझे कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने से रोकना चाहते हैं, मुझे नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद अध्यक्ष के साथ काम करने से रोकना चाहते हैं। वे अपना खुद का उम्मीदवार नियुक्त होते देखना चाहते हैं। सभी फैसलों में संविधान का पालन किया जाएगा।’ विक्रमसिंघे ने बाद में यह भी कहा कि स्पीकर से अपील की है कि वह PM पद के लिए एक ऐसा नाम चुने जो सत्तारुढ़ पार्टी और विपक्षी पार्टी, दोनों को मंजूर हों।
पत्नी के साथ श्रीलंका से भाग निकले राजपक्षे
संकटग्रस्त श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल और आर्थिक संकट के बीच देश के सरकारी टेलीविजन चैनल ‘रूपवाहिनी’ ने बुधवार को प्रसारण कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने इसकी इमारत पर धावा बोल दिया था। इसके एक घंटे से भी कम समय बाद एक दूसरे सरकारी टेलीविजन चैनल का प्रसारण भी रोक दिया गया। श्रीलंका की एयरफोर्स ने एक छोटे से बयान में बताया कि 73 साल के राजपक्षे अपनी पत्नी और 2 सिक्यॉरिटी ऑफिसर्स के साथ सेना के एक विमान में देश छोड़कर चले गए हैं। बयान में कहा गया कि यह सबकुछ रक्षा मंत्रालय की रजामंदी से हुआ।
मोहम्मद नशीद ने की गोटाबाया की मदद
राष्ट्रपति रहते हुए किसी भी तरह के मुकदमे से छूट प्राप्त 73 वर्षीय राजपक्षे नयी सरकार द्वारा संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी पत्नी और सिक्यॉरिटी ऑफिसर्स के साथ मालदीव रवाना हो गये। सूत्रों के मुताबिक, श्रीलंका से राजपक्षे के मालदीव जाने के विषय पर बातचीत मालदीव की संसद के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने की थी। मालदीव सरकार की दलील है कि राजपक्षे अब भी श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं और उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है या अपने अधिकार किसी उत्तराधिकारी को नहीं सौंपे हैं।
मालदीव में गोटाबाया की एंट्री से नाराज है MNP
सूत्रों ने कहा कि इसलिए यदि राजपक्षे मालदीव की यात्रा करना चाहते हैं तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता था। मालदीव सरकार ने अभी तक राजपक्षे की अपने यहां मौजूदगी पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है। वहीं, मालदीव्स नेशनल पार्टी (MNP) ने श्रीलंका के राष्ट्रपति को मालदीव की यात्रा पर आने की इजाजत देने के सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई और कहा कि वह इस बारे में प्रस्ताव रखकर सरकार से सफाई मांगेगी। एमएनपी नेता और मालदीव की पूर्व विदेश मंत्री दुन्या मौमून ने कहा कि यह बहुत निराशाजनक है कि मालदीव सरकार श्रीलंका की जनता की भावनाओं का ध्यान नहीं रखती।
बुधवार रात तक सिंगापुर पहुंच सकते हैं राजपक्षे
मालदीव के संसद सचिवालय के संचार निदेशक हसन जियाऊ ने कहा कि संसद को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। टीवी न्यूज चैनलों पर सामने आई खबरों के मुताबिक, राजपक्षे के साथ 13 लोग मालदीव गए हैं। वे AN32 विमान से मालदीव पहुंचे। मालदीव में सूत्रों के हवाले से ‘डेली मिरर’ ने एक रिपोर्ट में कहा कि राजपक्षे बुधवार रात तक सिंगापुर रवाना हो सकते हैं। श्रीलंका के ‘द मॉर्निंग’ न्यूज पोर्टल की खबर में सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राजपक्षे बुधवार शाम तक अंतिम गंतव्य देश में पहुंचने के बाद अपना इस्तीफा भेज सकते हैं।
पूर्व राष्ट्रपति सिरिसेना ने दिया बड़ा बयान
इस बीच पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना ने आगाह किया कि ‘सत्ता के लिए भूखा’ एक ग्रुप धीरे-धीरे देश को तबाह कर रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और कार्यवाहक राष्ट्रपति के पास जनादेश नहीं है इसलिए उनके निर्देशों को लागू करने से पहले 2 बार सोचा जाना चाहिए। सिरिसेना ने एक बयान में कहा कि सशस्त्र बलों की जिम्मेदारी है कि वे संघर्ष कर रहे लोगों की सुरक्षा करें। नेता प्रतिपक्ष सजित प्रेमदास ने ट्वीट कर कहा, ‘एक सीट वाले सांसद को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है। अब उसी व्यक्ति को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त गया है। यह लोकतंत्र की राजपक्षे शैली है। क्या तमाशा है। क्या त्रासदी है।’
लोगों ने लगाए ‘गो होम गोटा’ के नारे
बुधवार को ही श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने इन खबरों को निराधार बताकर पूरी तरह खारिज कर दिया कि उसने राजपक्षे के मालदीव जाने में मदद की। भारतीय मिशन ने कहा, ‘यह दोहराया जाता है कि भारत लोकतांत्रिक माध्यमों और मूल्यों, स्थापित लोकतांत्रिक संस्थानों और संवैधानिक रूपरेखा के जरिए समृद्धि एवं प्रगति की आकांक्षाओं को पूरा करने में श्रीलंका के लोगों का सहयोग करता रहेगा।’ वहीं, राजपक्षे के देश छोड़ने की खबरें आने के बाद उत्साहित भीड़ सिंहली भाषा में ‘संघर्ष की जीत’ और ‘गो होम गोटा’ के नारे लगाते हुए गाले फेस ग्रीन में एकत्रित हो गयी।
आर्थिक संकट से जूझ रहा है श्रीलंका
बीबीसी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी कि राजपक्षे के छोटे भाई और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे भी देश छोड़कर चले गए हैं। इससे पहले सोमवार की रात राजपक्षे और उनके भाई बासिल ने परिवार के खिलाफ बढ़ते जनाक्रोश के बीच देश छोड़ने की कोशिश की, लेकिन उन्हें एयरपोर्ट से लौटना पड़ा। गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश अपनी आजादी के बाद के 7 दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण लोग खाने-पीने के सामान, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।