Sri Lanka-China News: श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराने के बावजूद भारत ने अपने इस पड़ोसी देश को आर्थिक मदद की थी। इसके बावजूद श्रीलंका भारत के ऐतराज के बावजूद चीन के साथ मिलकर चीन के जहाज पर रिसर्च वर्क कर रहा है। चीन का यह जहाज कहने को तो रिसर्च पोत है, लेकिन इस पर भारत की जासूसी करने का भी अंदेशा बना हुआ है। चीन अनुसंधान के बहाने भारत के तटीय क्षेत्रों में होने वाली नौसैनिक हलचल पर नजर करने की हिमाकत कर सकता है। इस पर भारत ने कोलंबो में चीनी पोत की मौजूदगी पर विरोध भी दर्ज कराया था। भारत के साथ ही अमेरिका ने भी विरोध दर्ज कराया था। लेकिन श्रीलंका पर इसका असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। श्रीलंका और चीन के वैज्ञानिक चीनी पोत पर समुद्र विज्ञान संबंधी संयुक्त अनुसंधान कर रहे हैं।
इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि चीनी पोत ‘शी यान 6’ पिछले हफ्ते कोलंबो बंदरगाह पहुंचा था। सूत्रों के मुताबिक, भारत द्वारा आपत्तियां जताए जाने के चलते पोत के आगमन के लिए अनुमति देने में देर हुई, लेकिन इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। कोलंबो में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘30 और 31 अक्टूबर को समुद्र विज्ञान संबंधी अनुसंधान करने के लिए अनुमति दी गई।’ उन्होंने कहा कि पोत अभी पश्चिमी जल क्षेत्र में है।
कोलंबो में किया जा रहा चीनी पोत पर रिसर्च वर्क
राष्ट्रीय जलीय अनुसंधान एजेंसी (एनएआरए) के वैज्ञानिक, नौसेना कर्मी और रूहाना विश्वविद्यालय के विद्वानों को पोत पर जाने की अनुमति दी गई है। एजेंसी के महानिदेशक डॉ कमल तेनाकून ने कहा कि पोत के जरिये कोलंबो में बेनतारा के पास अनुसंधान कार्य किया जा रहा है। चीनी अनुसंधान पोत ने सोमवार को श्रीलंका के समुद्र में अनुसंधान शुरू किया। इसे भूभौतिकीय अनुसंधान के लिए चीन का पहला वैज्ञानिक अनुसंधान पोत बताया जा रहा है।
अमेरिका ने भी पिछले महीने जताई थी चिंता
पिछले महीने, चीनी अनुसंधान पोत की प्रस्तावित यात्रा को लेकर अमेरिका ने श्रीलंका के समक्ष चिंता जताई थी। हाल में, संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर न्यूयॉर्क में श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी से मुलाकात करने वाली अमेरिकी उप मंत्री विक्टोरिया नुलैंड ने पोत की यात्रा को लेकर कथित तौर पर चिंता जताई थी। भारत, चीनी पोत की श्रीलंका यात्रा को लेकर चिंता जताता रहा है। चीनी उपग्रह निगरानी पोत की 2022 की शुरूआत में इसी तरह की यात्रा को लेकर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था।