Highlights
- राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की लोकेशन समंदर में मिली
- किसी देश की सीमा में नहीं गए गोटाबाया राजपक्षे
- नेवी शिप से हालात मॉनीटर कर रहे हैं गोटाबाया राजपक्षे
Sri Lanka Crisis: भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका विद्रोह की आग में झुलस रहा है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के आधिकारिक आवास पर कब्जा कर लिया है, जिसकी वजह से राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे आवास छोड़कर भाग गए। शनिवार को ये खबरें सामने आई थीं कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे किसी अज्ञात जगह पर चले गए हैं लेकिन रविवार को पता लगा है कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) किसी देश की सीमा में नहीं गए हैं। बल्कि वह समंदर के बीच में हैं और नेवी शिप से हालात मॉनीटर कर रहे हैं। गौरतलब है कि राजपक्षे 13 जुलाई को इस्तीफा देने की घोषणा कर चुके हैं। वहीं श्रीलंका के प्रधानमंत्री अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
श्रीलंका की इस हालत का जिम्मेदार कौन?
श्रीलंका (Sri Lanka) आज जिस हाल में है उसमें काफी बड़ा रोल चीन (China) का भी है। चीन ने पहले श्रीलंका को सपने दिखाए, फिर अपने पैसे दिखाए और फिर जमकर भ्रष्टाचार किया। अब हालात ऐसे हैं कि चीन के कारिंदे श्रीलंका में ही बैठकर तमाशा देख रहे हैं। यदि कहा जाए कि इस वक्त श्रीलंका के सिस्टम में चीन का कब्जा हो चुका है, तो कुछ गलत नहीं होगा। श्रीलंका में जो हुआ है वह सिर्फ एक तख्तापलट नहीं है, जनता का गुस्सा नहीं है, बल्कि चीन कैसे चाल चलता है और कैसे किसी देश के अंदर बवाल शुरू करता है, उसकी एक नजीर है।
रोजमर्रा की चीजों की भी हो गई किल्लत
श्रीलंका (Sri Lanka) की जनता पिछले कुछ महीनों से रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के लिए भी जूझ रही थी। जब तेल खत्म हो गया, राशन खत्म हो गया, दवाई खत्म हो गई तो आखिरकार जनता को सड़क पर आना पड़ा। श्रीलंका में पब्लिक का यह आक्रोश राजपक्षे परिवार के परिवारवाद के खिलाफ भी है, जो दशकों से अपने ही देश को लूटकर कंगाल किए जा रहा था। जनता का यह आक्रोश इतना भड़का कि इसकी तपिश शनिवार को राजपक्षे परिवार ने राष्ट्रपति भवन की तस्वीरें देखकर महसूस कर ली होगी।
हजारों की भीड़ ने राष्ट्रपति भवन पर किया कब्जा
श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन पर हजारों की भीड़ ने कब्जा कर लिया। आमतौर पर ऐसी भीड़ को अनियंत्रित होते देखा गया है, लेकिन श्रीलंका में जुटी यह भीड़ जरा भी अराजक नहीं हुई। इस भीड़ ने न तो कोई वाहन फूंका और न ही किसी पर पत्थर फेंका। हालांकि बाद में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास के एक हिस्से में भीड़ ने आग जरूर लगाई, लेकिन ऐसे हालात वहां सुरक्षाबलों की कार्रवाई के बाद पैदा हुए। इसके अलावा कहीं से भी हिंसा की एक भी खबर नहीं आई।