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Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में आज शपथ लेगा नया मंत्रिमंडल, दिनेश गुणावर्दना चुने गए प्रधानमंत्री

Sri Lanka Crisis: छह बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को बुधवार को सांसदों ने राष्ट्रपति चुना था। विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि नकदी संकट से जूझ रहे श्रीलंका राहत सौदे के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ चल रही वार्ता को निरंतरता मिलेगी।

Reported By : T. Raghavan Edited By : Sudhanshu Gaur Published on: July 22, 2022 10:39 IST
Ranil Wickremesinghe- India TV Hindi
Image Source : FILE Ranil Wickremesinghe

Highlights

  • 20 जुलाई को हुआ था श्रीलंका के नए राष्ट्रपति का चुनाव
  • सांसदों ने रानिल विक्रमसिंघे को चुना था राष्ट्रपति
  • देश छोड़कर भाग गए थे पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। नए मंत्रिमंडल में दिनेश गुणवर्धने (73) भी शामिल हैं, जो देश के नए प्रधानमंत्री होंगे। अप्रैल में पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान उन्हें गृह मंत्री बनाया गया था। वह विदेश मंत्री और शिक्षा मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। गुणवर्धने समेत मंत्रिमंडल में वही नेता शामिल किए जाएंगे, जो विक्रमसिंघे के कार्यवाहक राष्ट्रपति रहने के दौरान इसके मंत्रिमंडल के सदस्य थे। 

सहमति बनने तक काम करेगा पिछला मंत्रिमंडल 

संसद सत्र के शुरू होने पर सरकार पर सहमति बनने तक पिछला मंत्रिमंडल काम करता रहेगा और इसके बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा। अधिकारियों ने बताया कि विक्रमसिंघे सर्वदलीय सरकार का गठन करेंगे। छह बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को बुधवार को सांसदों ने राष्ट्रपति चुना था। विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि नकदी संकट से जूझ रहे श्रीलंका राहत सौदे के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ चल रही वार्ता को निरंतरता मिलेगी।

एक गुट खत्म करेगा आंदोलन खत्म जबकि एक रखेगा जारी 

 
वहीं इन सबके बीच, प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास के बाहर अप्रैल से डेरा डाले प्रदर्शनकारियों के समूह ने कहा कि वह अपने विरोध-प्रदर्शन समाप्त कर रहे हैं। इस समूह के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस बात पर चर्चा की गई कि संविधान का सम्मान किया जाना चाहिए और इस प्रदर्शन को बंद किया जाना चाहिए।’’ हालांकि, नौ अप्रैल से राष्ट्रपति कार्यालय में प्रवेश बाधित करने वाले प्रदर्शनकारियों ने मुख्य समूह ने कहा कि वे विक्रमसिंघे के इस्तीफा देने तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे। इस समूह के प्रवक्ता लहिरू वीरसेकरा ने कहा, ‘‘हमारी जीत तभी होगी, जब आम लोगों की सरकार बनेगी।’’ हालांकि, पुलिस तथा विशेष कार्यबल के जवानों ने शुक्रवार को उन्हें वहां से हटा दिया। उस समय वहां करीब 100 प्रदर्शनकारी ही मौजूद थे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय को नौ जुलाई को कब्जा करने के बाद खाली कर दिया था, वे गॉल फेस में राष्ट्रपति सचिवालय के कुछ कमरों पर कब्जा किए हुए थे।

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