Highlights
- राजपक्षे ने शरण मांगी है और न ही उन्हें शरण दी गई है: सिंगापुर विदेश मंत्रालय
- मैंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहूंगा: राजपक्षे
- 2020 और 2021 के दौरान मुझे लॉकडाउन का आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा: राजपक्षे
कोलंबो: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद उम्मीद की जा रही है कि अब इस खूबसूरत से देश में थोड़ी सी शांति होगी। पिछले कुछ महीनों से श्रीलंका में लगातार प्रदर्शन हो रहे थे और देश गृहयुद्ध की तरफ बढ़ रहा था। अपने इस्तीफे में खुद का बचाव करते हुए राजपक्षे ने कहा कि उन्होंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा ही करते रहेंगे। राजपक्षे के इस इस्तीफे को शनिवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान पढ़ा गया।
बुधवार को देश से भाग गए थे राजपक्षे
अर्थव्यस्था को संभालने में सरकार की नाकामी के चलते श्रीलंका में तेज हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते बुधवार को राजपक्षे देश से भाग गए थे। राजपक्षे ने सिंगापुर से अपना इस्तीफा भेजा था जिसे संसद के 13 मिनट के विशेष सत्र के दौरान पढ़ा गया। 73 वर्षीय राजपक्षे ने अपने इस्तीफे में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के बदतर होने के लिए कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने आर्थिक मंदी का मुकाबला करने के लिए सर्वदलीय सरकार बनाने की कोशिश करने जैसे बेहतरीन कदम उठाए।
‘मैंने महामारी से बचाने के लिए ऐक्शन लिया’
राजपक्षे ने अपने इस्तीफे में लिखा, ‘मैंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहूंगा।’ उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद 3 महीने के अंदर ही पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में आ गई। राजपक्षे ने कहा, ‘मैंने उस समय पहले से ही खराब आर्थिक माहौल से विवश होने के बावजूद लोगों को महामारी से बचाने के लिए कई काम किए। 2020 और 2021 के दौरान मुझे लॉकडाउन का आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा और विदेशी मुद्रा की स्थिति बिगड़ गई।’
सिंगापुर ने राजपक्षे पर दिया बड़ा बयान
राजपक्षे ने इस्तीफे में लिखा, ‘मेरे ख्याल से मैंने हालात से निपटने के लिए एक सर्वदलीय सरकार बनाने का सुझाव देकर सबसे अच्छा कदम उठाया। 9 जुलाई को पार्टी नेताओं की इच्छा के बारे में पता चलने के बाद मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया।’ वह बुधवार को मालदीव भाग गए थे और इसके बाद गुरुवार को सिंगापुर पहुंच गए। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि न तो राजपक्षे ने शरण मांगी है और न ही उन्हें शरण दी गई है और उन्हें ‘निजी यात्रा’ के लिए देश में घुसने की इजाजत दी गई है।