Highlights
- सांसदों के गुप्त मतदान से चुना जाएगा श्रीलंका का अगला राष्ट्रपति
- 20 जुलाई को होगा फैसला
- श्रीलंका में 44 साल बाद संसद चुनेगी देश का राष्ट्रपति
Sri Lanka Crisis: श्रीलंका क्राइसिस और गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बीच समय आ गया है, जब 1978 के बाद पहली बार देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव जनता नहीं, बल्कि श्रीलंकाई संसद करेगा। सांसदों के गुप्त मतदान से इस बार श्रीलंका का राष्ट्रपति चुना जाएगा। संसद के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने कहा कि 225 सांसद, 20 जुलाई को गुप्त मतदान से देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे। इतिहास में झांके तो श्रीलंका में 1978 के बाद आज तक कभी भी राष्ट्रपति का चुनाव संसद के द्वारा नहीं किया गया है। हमेशा देश की जनता ही अपना राष्ट्रपति चुनती आई है। बस एक बार 1993 में ऐसा हुआ था, जब डी बी विजेतुंगा को संसद द्वारा सर्वसम्मति से देश का राष्ट्रपति चुना गया था। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा की हत्या कर दी गई थी।
19 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन
अभयवर्धने ने पार्टी नेताओं को बताया कि संसद नए अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए 20 जुलाई को बैठक करेगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन 19 जुलाई को मंगाए जाएंगे। राष्ट्रपति कार्यालय में रिक्ति की घोषणा के बारे में शनिवार को संसद को आधिकारिक रूप से सूचना दी जाएगी। अध्यक्ष ने कहा कि संविधान के अनुसार, विक्रमसिंघे राष्ट्रपति के तौर पर काम करेंगे और नए राष्ट्रपति के चुनाव की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी होने तक राष्ट्रपति कार्यालय की शक्तियों के अनुसार दायित्वों का निर्वहन करेंगे और कामकाज संभालेंगे।
रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के अंतरिम राष्ट्रपति
श्रीलंका में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने गोटबाया राजपक्षे (Ggotabaya rajapaksa) का उत्तराधिकारी चुने जाने तक अंतरिम राष्ट्रपति के तौर पर शुक्रवार को शपथ ग्रहण किया। राजपक्षे ने दिवालिया हो चुके देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के लिए अपनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में बताया कि चीफ जस्टिस जयंत जयसूर्या ने विक्रमसिंघे (73) को श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर शपथ दिलायी।
राजपक्षे के इस्तीफे की आधिकारिक घोषणा
श्रीलंका की पार्लियामेंट के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने शुक्रवार को आधिकारिक रूप से घोषणा की कि राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया है। राजपक्षे ने अपने तथा अपने परिवार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच देश छोड़कर चले जाने के दो दिन बाद इस्तीफा दिया। वह देश छोड़ कर पहले मालदीव और फिर वहां से सिंगापुर चले गए हैं।