Monday, December 23, 2024
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Sri Lanka: श्रीलंका में 22वें संविधान संशोधन पर नागरिक समाज ने जताई नाखुशी, जानिए क्या है वजह

Sri Lanka: श्रीलंका में नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के एक समूह ने शनिवार को पीएम रानिल विक्रमसिंघे से 22वें संविधान संशोधन को लेकर मुलाकात की।

Edited By: Akash Mishra
Published : Jul 02, 2022 18:58 IST, Updated : Jul 02, 2022 18:58 IST
Sri Lanka’s Prime Minister Ranil Wickremesinghe(File Photo)
Image Source : AP Sri Lanka’s Prime Minister Ranil Wickremesinghe(File Photo)

Highlights

  • नागरिक समाज के समूह ने पीएम रानिल विक्रमसिंघे से मिलकर जताई अपनी नाखुशी
  • "हमने प्रधानमंत्री से कहा कि यह शासन की अहम समस्याओं का समाधान नहीं करेगा"

Sri lanka: श्रीलंका में नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के एक समूह ने शनिवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की। उन्होंने मुलाकात के दौरान प्रस्तावित 22वें संविधान संशोधन के प्रति अपनी नाखुशी जताई। उन्होंने कहा कि यह न तो राष्ट्रपति की निरंकुश शक्तियों में कटौती करेगा न ही शक्ति के ढांचे पर नियंत्रण व संतुलन स्थापित करेगा।नागरिक समाज के नेता रोहना हित्तियारचची ने इस पर बोलते हुए कहा कि हमने प्रधानमंत्री से कहा था कि यह देश की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाएगा।

नए विधेयक में है बृहद मुद्दों का उल्लेख 

श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने सोमवार को न्याय, कारागार और संविधान सुधार मामलों के मंत्री द्वारा पेश विधेयक को सरकारी गजट में प्रकाशित करने की मंजूरी दे दी थी। नए विधेयक में बृहद मुद्दों का उल्लेख किया गया है, जिनपर विचार करना है। इनमें से राष्ट्रपति की नियुक्ति, प्रधानमंत्री की शक्तियां और पद की प्रकृति, नए आयोगों और मंत्रिमंडल की जवाबदेही जैसे तमाम मुद्दे शामिल हैं। नागरिक समाज के नेता रोहना हित्तियारचची ने कहा,‘‘हमने प्रधानमंत्री से कहा कि यह शासन की अहम समस्याओं का समाधान नहीं करेगा जिसका देश सामना कर रहा है। हालांकि, इनमें से कुछ बिंदु प्रगतिशील प्रतीत हो रहे हैं लेकिन अधिकतर मामलों में नहीं।’’ 

संकट के समय में लाए जा रहे ऐसे बदलाव

सरकार ने पिछले सप्ताह घोषणा की कि संविधान संशोधन 22ए को गजट में प्रकाशित किया जा रहा है। इसे तय प्रक्रिया के बाद संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है। गौरतलब है कि 22वें संशोधन को पहले 21ए कहा गया था, जिसे 20ए के स्थान पर लाया गया था। यह बदलाव ऐसे समय लाए जा रहे हैं जब देश आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक संकट से भी गुजर रहा है। 

 

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