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भारत की धाक को श्रीलंका ने भी माना, चीनी रिसर्च जहाजों पर एक साल के लिए ल​गाई रोक

भारत द्वारा उसके पड़ोस में चीनी रिसर्च जहाजों के रुकने पर चिंता जताए जाने के बीच श्रीलंका ने ऐसे जहाजों के प्रवेश पर एक साल के लिए रोक लगाने की घोषणा की है।

Edited By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: January 05, 2024 22:38 IST
चीनी रिसर्च जहाजों पर एक साल के लिए ल​गाई रोक- India TV Hindi
Image Source : FILE चीनी रिसर्च जहाजों पर एक साल के लिए ल​गाई रोक

India Sri Lanka: भारत ने श्रीलंका के हंबनटोटा में चीन के जासूसी जहाज के आने पर कड़ा ऐतराज जताया था। ये चीनी जासूसी जहाज दरअसल, कहने को रिसर्च शिप था। लेकिन जासूसी की संभावनाओं से भी इनकार न​हीं किया गया। इस कड़े ऐतराज यानी चीनी जहाजों पर भारत की चिंताओं को श्रीलंका ने समझा और श्रीलंका ने रिसर्च जहाजों पर एक साल के लिए रोक लगा दी है।

भारत द्वारा उसके पड़ोस में चीनी रिसर्च जहाजों के रुकने पर चिंता जताए जाने के बीच श्रीलंका ने उसके जल क्षेत्र में विदेशी अनुसंधान जहाजों के प्रवेश पर एक साल के लिए रोक लगाने की घोषणा की है। यह रोक जाहिर तौर पर क्षमता निर्माण के लिए लगाई गई है, लेकिन इसे भारत में बढ़ती चिंताओं की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है। 

 कोलंबो पोर्ट पर रुका था चीनी रिसर्च जहाज

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता निलुका कडुरुगामुवा ने शुक्रवार को बताया कि रोक सभी देशों से संबंधित है और स्थानीय शोधकर्ताओं को संयुक्त शोध में अपने विदेशी समकक्षों के बराबर क्षमता बनाने की अनुमति देगा। हाल के वर्षों में चीन और श्रीलंका की एजेंसियों के बीच हुए समझौतों के आधार पर रिसर्च के लिए चीनी जहाज कोलंबो में रुके हैं। पिछले अक्टूबर में, चीनी अनुसंधान जहाज ‘शि यान 6’ कई दिनों तक कोलंबो बंदरगाह में रुका था, जबकि 2022 में नौसेना का जहाज ‘युआन वांग 5’ दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा में रुका था।

भारत को थी जासूसी की आशंका

भारत में आशंका थी कि इन जहाजों का इस्तेमाल क्षेत्र की निगरानी के लिए किया जा सकता है। चीन श्रीलंका में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जो दुनिया के सबसे व्यस्त नौवहन मार्गों में से एक पर स्थित है, जिसे भारत उसके लिहाज से अहम रणनीतिक क्षेत्र मानता है।  

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