Space War Between America and China: दक्षिण चीन सागर में अपनी हरकतों से दुनिया भर को टेंशन देने वाला चीन अब अंतरिक्ष में भी दादागीरी पर उतर आया है। दरअसल पिछले कुछ वर्षों में चीन ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में जबरदस्त उपलब्धियां हासिल की हैं। इससे अमेरिका भी हैरान रह गया है। अभी तक अंतरिक्ष में अमेरिका एकक्षत्र राज करता आ रहा था। मगर चीन ने अमेरिका के सामने ऐसी चुनौती पेश कर दी है कि नासा के वैज्ञानिक भी दंग रह गए हैं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीन लगातार नई-नई और बड़ी उपलब्धियां अपने नाम करता जा रहा है। चीन की अंतरिक्ष में बढ़ती दादागीरी ने अमेरिका के साथ स्पेस मिलिट्री वॉर की आशंका को प्रबल कर दिया है। अगर ऐसा हुआ तो इसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ सकता है।
चीन और अमेरिका के बीच स्पेस मिलिट्री वार होने का मतलब है पूरी दुनिया की उपग्रह प्रणालियों का ध्वस्त हो जाना। यह एक ऐसा खतरा है, जिससे दुनिया का कोई भी देश अछूता नहीं रह सकता। अभी तक सिर्फ अमेरिका के पास ही स्पेस मिलिट्री थी। रूस भी इस क्षेत्र में थोड़ा बहुत उपलब्धि हासिल कर चुका है। मगर अब चीन ने भी स्पेस मिलिट्री के क्षेत्र में खुद को बेहद मजबूत कर लिया है। वह अंतरिक्ष में भी कई मिसाइलों का गुपचुप तरीके से परीक्षण कर रहा है। चीन का मकसद दक्षिण चीन सागर से लेकर अंतरिक्ष तक पर कब्जा जमाना है। ताकि वह अमेरिका को भी पीछे छोड़कर दुनिया का बेताज बादशाह बन सके। लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग के इरादों से अमेरिका में खलबली मची है। अमेरिका स्पेस मिलिट्री के अधिकारी खुद यह दावा कर चुके हैं कि चीन ने स्पेस मिलिट्री के क्षेत्र में इतनी अधिक तरक्की कर ली है कि अब अमेरिका को भी चिंता करने की जरूरत है। अगर उसे रोका नहीं गया तो यह पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी होगी। वजह साफ है, दुनिया पर अपना वर्चस्व स्थापित करना।
चीन अंतरिक्ष में बढ़ा रहा मलबा, अमेरिका की पैनी नजर
आपको बता दें कि चीन अंतरिक्ष में लगातार मलबा बढ़ाता जा रहा है। अब पृथ्वी की निचली कक्षा में यह मलबा तेजी से इकट्ठा हो रहा है। ऐसे में अमेरिका ने चीन की समस्त गतिविधियों पर निगरानी को तेज कर दिया है। क्योंकि इस मलबे के बढ़ने से अंतरिक्ष में अमेरिकी संपत्तियों के नष्ट होने का खतरा है। इसलिए अमेरिका चीन के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव भी लेकर आया। प्रस्ताव अमेरिका के पक्ष में रहा। अंतरिक्ष में अमेरिका के सैन्य अभियान के प्रमुख कमांडर जनरल जेम्स डिकिंसन ने संयुक्त राष्ट्र में उस प्रस्ताव के भारी मतों से पारित होने का स्वागत किया, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि देश सीधी उड़ान भरने वाली उपग्रह रोधी प्रणाली का परीक्षण नहीं करेंगे, जो बड़े पैमाने पर अंतरिक्ष मलबा पैदा कर उपग्रहों और अंतरिक्ष स्टेशन के अस्तित्व को खतरे में डालती हैं। जिन चार देशों ने इस तरह की उपग्रह रोधी प्रणाली का परीक्षण किया है, उनमें से सिर्फ अमेरिका ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। चीन और रूस ने जहां प्रस्ताव का विरोध किया, वहीं भारत मतदान से दूर रहा।
संघर्ष का केंद्र बना अंतरिक्ष
अमेरिकी जनरल डिकिंसन ने कहा कि “हम अंतरिक्ष में मौजूद मलबे को बढ़ाना जारी नहीं रख सकते। ज्यादातर मलबा पृथ्वी की अहम निचली कक्षा में मौजूद है, जो बहुत भरा हुआ और प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष का केंद्र बन गया है।” उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में वस्तुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है और धातु के छोटे टुकड़े भी खतरा पैदा कर सकते हैं। डिकिंसन ने बताया कि अमेरिकी स्पेस कमांड पृथ्वी की कक्षा के पास अभी 48 हजार से अधिक वस्तुओं की निगरानी कर रहा है, जिनमें उपग्रह, दूरबीन, अंतरिक्ष स्टेशन और हर आकार का मलबा शामिल है। उन्होंने बताया कि तीन साल पहले ऐसी वस्तुओं की संख्या 25 हजार के आसपास थी। चीन 2003 में अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ के बाद अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला दुनिया का तीसरा देश बना था। तब से उसका मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम काफी तेजी से बढ़ा है।
चीन बढ़ा रहा परमाणु हथियार
सिर्फ अंतरिक्ष में ही नहीं, बल्कि चीन जल और थल में भी अपनी ताकत को लगातार बढ़ाता जा रहा है। एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन अपना परमाणु भंडारण भी तेजी से बढ़ा रहा है। आशंका है कि वर्ष 2035 तक चीन के पास 1500 से अधिक परमाणु बम हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि 2007 में चीन को अंतरिक्ष में अपने एक निष्क्रिय उपग्रह को उड़ाने के लिए एक मिसाइल का अघोषित परीक्षण करने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। इस परीक्षण के कारण अंतरिक्ष में बड़े पैमाने पर मलबा फैल गया था, जो अभी भी खतरे का सबब बना हुआ है। डिकिंसन ने कहा, “बीजिंग को लगता है कि अंतरिक्ष न केवल उसकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि सैन्य क्षेत्र के लिए भी अहम कारक है। ऐसे में जब वह अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं में लगातार इजाफा कर रहा है, तब हम उसकी गतिविधियों पर बेहद करीबी नजर रख रहे हैं।
अमेरिका ने जताई अंतरिक्ष में टकराव की आशंका
अंतरिक्ष में चीन की लगातार बढ़ती दखलंदाजी के बीच अमेरिका ने स्पेस मिलिट्री वार की आशंका जाहिर की है। ताइवान, दक्षिण चीन सागर और व्यापार एवं तकनीक के क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच अंतरिक्ष दोनों देशों में तेजी से टकराव के एक संभावित केंद्र के रूप में उभर रहा है। इसके अलावा पेंटागन ने पिछले हफ्ते वार्षिक चीन सुरक्षा रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें आगाह किया गया था कि वर्ष 2035 तक बीजिंग के पास 1,500 परमाणु हथियार हो सकते हैं और उसने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह इन हथियारों का किस रूप में इस्तेमाल करने की मंशा रखता है। अमेरिकी रक्षा अधिकारी डिकिंसन ने कहा कि चीन ‘उन क्षमताओं का निर्माण कर रहा है, जो वास्तव में अंतरिक्ष में हमारी ज्यादा संपत्तियों को खतरे में डालती हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध ने भी दिखाया है कि अंतरिक्ष ‘टकराव का केंद्र है, जिसकी रक्षा किया जाना जरूरी है। यह एक ऐसी भूमिका है, जिसे यूएस स्पेस कमांड काफी गंभीरता से ले रहा है।