सियोल: दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल को गिरफ्तार कर लिया गया है। यून महाभियोग का सामना कर रहे थे और उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। योल को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने पहले भी प्रयास किए थे लेकिन सफलता नहीं मिली थी। योल ने पिछले साल तीन दिसंबर को देश मार्शल लॉ लगाने का ऐलान किया था, लेकिन विरोध के चलते उन्हें इसे कुछ घंटों बाद वापस ले लिया। इस घटना के बाद से ही दक्षिण कोरिया में सियासी हलचल तेज हो गई थी। अब अगर यून दोषी पाए जाते हैं तो उनपर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है, जेल हो सकती है यहां तक कि उन्हें मौत की सजा भी दी जा सकती है।
मुश्किल से हुई यून की गिरफ्तारी
यून के खिलाफ पहला गिरफ्तारी वारंट 31 दिसंबर 2024 को जारी किया गया था जो सत्ता के दुरुपयोग और मार्शल लॉ की साजिश रचने से संबंधित आरोपों पर था। वारंट जारी होने के बाद भी योल गिरफ्तारी से बचने की कोशिशों में लगे थे। जनवरी 2025 में दो सप्ताह तक यून सियोल में अपने आधिकारिक निवास में छुपे रहे। निवास के बाहर उनके सैकड़ों समर्थकों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं। आखिरकार 15 जनवरी को यून को गिरफ्तार कर लिया गया। यून को गिरफ्तार करने के लिए 3 हजार से अधिक पुलिस अधिकारी उनके घर तक पहुंचे थे।
पारित किया गया महत्वपूर्ण विधेयक
ध्यान देने वाली बात यह है कि, अब दक्षिण कोरिया की संसदीय न्यायपालिका उपसमिति ने एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया है जिसके तहत राष्ट्रपति रहते हुए यून सुक योल के असफल मार्शल लॉ प्रयास की विशेष वकील से जांच कराए जाने की सिफारिश की गई है। विधेयक में प्रस्ताव है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को योल के खिलाफ विद्रोह के आरोपों की जांच के लिए विशेष वकील की सिफारिश करने का अधिकार दिया जाए। विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम योल खिलाफ एक पारदर्शी और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करेगा।
मार्शल लॉ को लेकर यून के तर्क
इस बीच यहां यह भी बता दें कि, यून सुक योल ने दक्षिण कोरिया में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति का हवाला देते हुए इमरजेंसी यानी मार्शल लॉ लागू कर दिया था। यह कदम बढ़ते आंतरिक तनाव, विरोध प्रदर्शनों और सीमावर्ती क्षेत्रों में अस्थिरता के बीच उठाया गया था। उस समय यून ने कहा था कि उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों से बचने और देश विरोधी तत्वों को खत्म करने के लिए यह कदम जरूरी है। हालांकि, यून का यह कदम बड़ी भूल साबित हुआ। 14 दिसंबर को सांसदों ने उन पर महाभियोग चलाने और उन्हें पद से हटाने के लिए वोटिंग की थी।
बजट विधेयक को लेकर था मतभेद
यून सुक योल ने देश में मॉर्शल लॉ ऐसे समय लगाया था, जब संसद में सरकार और विपक्षी दल के बीच बजट विधेयक को लेकर मतभेद था। राष्ट्रपति यून को अन्य कानूनों को पारित कराने में भी सफलता नहीं मिली थी। यून विधेयकों को वीटो करने पर मजबूर हुए। विपक्ष ने राष्ट्रपति यून पर सत्ता के दुरुपयोग करने का आरोप लगाकर महाभियोग चलाने की मांग की जिसके बाद हालात बिगड़ते चले गए। संसद में अपने एजेंडे को लागू करने के लिए यून ने मॉर्शल लॉ की चाल तो चली लेकिन यह दांव पूरी तरह से उलटा पड़ गया।
यून सुक योल ने मांगी थी माफी
इन सबके अलावा यून सुक योल बीते कुछ समय से कई विवादों और स्कैम में फंसे रहे। इस वजह से जनता में उनकी रेटिंग भी लगातार कम होती गई। उनकी पत्नी किम कीन भी कुछ कथित घोटालों और विवादों से जुड़ी रही हैं। उन पर शेयरों के दामों में हेराफेरी, रिश्वत के तौर पर लग्जरी डियोर हैंडबेग लेने का आरोप था। पिछले दिनों यून सुक योल ने इस मामले पर ये कह कर माफी मांगी थी कि उनकी पत्नी को अच्छा व्यवहार करना चाहिए था।
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