आर्थिक तंगी से कराहते पाकिस्तान के कटोरे में सऊदी अरब ने आखिरकार 2 अरब डालर की अतिरिक्त भीख डाल दी है। इससे निश्चित रूप से भूख से तड़पते पाकिस्तान को कुछ ना कुछ राहत जरूर मिलेगी। मगर क्या अब इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए मेहरबान हो सकता है, क्या पाकिस्तान अब कुछ पैसे और जुटा कर आईएमएफ की नकदी शर्तों को पूरा करने के करीब पहुंच सकता है? आइए आप को समझाते हैं।
नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब से अतिरिक्त दो अरब डॉलर के वित्तपोषण की मंजूरी मिल गई है, जिससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से बेहद जरूरी राहत पैकेज मिलने में मदद मिलेगी। स्थानीय समाचारपत्र 'द न्यूज' में बृहस्पतिवार को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी प्रशासन इस संबंध में सार्वजनिक घोषणा करने वाला है। यह घोषणा संभवतः प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की आगामी सऊदी अरब यात्रा के दौरान होगी। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में सऊदी अरब के राजदूत ने हाल ही में संकेत दिए थे कि उनके देश ने ‘मुश्किल हालात में हमेशा पाकिस्तान की मदद की है और जल्द ही अच्छी खबर दी जाएगी।’
IMF से भी कर्ज मिलने की उम्मीद बढ़ी
पाकिस्तान सरकार अब राहत पैकेज पर आईएमएफ के साथ एक कार्मिक-स्तरीय समझौते की ओर बढ़ने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से अतिरिक्त एक अरब डालर की जमा राशि पर सत्यापन लेने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। आईएमएफ ने शर्त रखी है कि सात अरब डॉलर के राहत पैकेज की बहाली के लिए पाकिस्तान को अन्य देशों से तीन अरब डॉलर की राशि जमा के तौर पर सुरक्षित रखनी होगी। समाचार पत्र 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब से यह मदद ऐसे नाजुक वक्त में मिल रही है जब 2019 में हस्ताक्षरित आईएमएफ कार्यक्रम 30 जून, 2023 को समाप्त होने वाला है। तय दिशानिर्देशों के अनुसार, इस कार्यक्रम को तय समयसीमा के बाद बढ़ाया नहीं जा सकता है। हालांकि 'द न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम को तीन से छह महीने तक बढ़ाने की संभावनाएं हैं लेकिन अभी तक इस पर कोई चर्चा या अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। पाकिस्तान को पिछले महीने उसके ‘सबसे बड़े सहयोगी’ चीन ने भी दो अरब डॉलर का ऋण दिया था।