Tuesday, November 05, 2024
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एक साथ जुटेंगे भारत और नेपाल के संस्कृत विद्वान, वैश्विक मंच से दुनिया में फैलाएंगे प्राचीन भाषा का ज्ञान

भारत और नेपाल मिलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर संस्कृत सम्मेलन करने जा रहे हैं। इसमें देश के विभिन्न संस्कृत विद्यालयों और गुरुकुलों के छात्र हिस्सा लेंगे। भारत और नेपाल दोनों ही देशों के संस्कृत विद्वान इस भाषा का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार बढ़ाएंगे।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: March 27, 2024 22:36 IST
प्रतीकात्मक फोटो। - India TV Hindi
Image Source : FILE प्रतीकात्मक फोटो।

काठमांडू: नेपाल और भारत के संस्कृत भाषा के विद्वान अब अंतरराष्ट्रीय मंच से प्राचीन भाषा का प्रकाश पूरी दुनिया में फैलाने जा रहे हैं। दोनों देशों के संस्कृत विद्वान एक साथ मिलकर संस्कृत भाषा के महात्मय और ज्ञान से दुनिया को अवगत कराएंगे। दोनों देशों के संस्कृत विद्वानों को एक साझा मंच प्रदान करने और उनके बीच ज्ञान, अनुभव और शोध निष्कर्षों को साझा करने की सुविधा प्रदान करने के लिए तीन-दिवसीय ‘‘नेपाल-भारत अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन’’ बुधवार को यहां शुरू हो चुका है।

आयोजकों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य संस्कृत में वैश्विक रुचि पर चर्चा करना और दोनों देशों के सांस्कृतिक और शिक्षा क्षेत्रों पर संस्कृत भाषा के प्रभावों का पता लगाना है। ऊर्जा और जल संसाधन मंत्री शक्ति बस्नेत ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा चूंकि संस्कृत भाषा ज्ञान और विज्ञान के मामले में समृद्ध है, इसलिए इसके लाभों को वैश्विक समुदाय के साथ साझा करने के लिए नेपाल और भारत के बीच सहयोग को तेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नेपाल और भारत की साझा संपत्ति के रूप में संस्कृत भाषा को संरक्षित और बढ़ावा देने से दोनों देशों के बीच लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।

भारत और नेपाल को प्राचीन भाषा बनाएगी वैश्विक शक्ति

दिल्ली स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्व विद्यालय के कुलपति श्रीनिवास बरखेड़ी ने कहा कि विज्ञान और प्राचीन ज्ञान की भाषा होने के नाते संस्कृत न केवल दो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों को एक सूत्र में बांध सकती है, बल्कि भारत और नेपाल दोनों को वैश्विक शक्ति में बदल सकती है। भारत और नेपाल दोनों ही देशों में हिंदू समाज और संस्कृति का प्रभाव है। हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों में इसी प्राचीन भाषा का इस्तेमाल किया गया है। इसलिए वैश्विक स्तर पर इस भाषा को बढ़ावा देने के मकसद से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। ताकि संस्कृत भाषा के ज्ञान का उजियारा दुनिया के बाकी देशों तक पहुंच सके।  (भाषा) 

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