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जयशंकर ने दिखाया रास्ता, बोले 'क्वाड देशों में सहयोग से ही हिंद-प्रशांत में सुनिश्चित हो सकती है स्वतंत्रता और स्थिरता'

'क्वाड' देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 'क्वाड' देशों के बीच सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध बना रहे। भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में ‘क्वाड’ की स्थापना की थी।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Updated on: July 29, 2024 11:39 IST
S Jaishankar - India TV Hindi
Image Source : S JAISHANKAR (X) S Jaishankar

टोक्यो: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि केवल 'क्वाड' देशों के बीच सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर और सुरक्षित बना रहे। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह समूह लंबे समय तक टिका रहेगा और मजबूत होता रहेगा। जयशंकर ने टोक्यो में 'क्वाड' (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में अपने संबोधन में कहा कि विश्व की भलाई करने की ‘क्वाड’ की प्रतिबद्धता की गूंज इस क्षेत्र से कहीं अधिक दूर तक सुनाई देती है। 

 

मजबूत हो 'क्वाड' देशों की राजनीतिक समझ

जयशंकर ने कहा, ‘‘सिर्फ हमारे बीच सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध बना रहे।’’ उन्होंने ने कहा, ‘‘इसलिए यह जरूरी है कि हमारी राजनीतिक समझ मजबूत हो, हमारी आर्थिक साझेदारी आगे बढ़े, हमारे बीच प्रौद्योगिकी सहयोग का विस्तार हो और हमारे लोगों के आपसी रिश्ते गहरे हों। हमारी बैठक से यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि ‘क्वाड’ लंबे समय तक टिकने और आगे बढ़ने के लिए है।’’ बैठक में जयशंकर के अलावा अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, जापान की विदेश मंत्री योको कामिकावा और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने हिस्सा लिया। जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी बैठक से यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि ‘क्वाड’ टिके रहने, काम करने और आगे बढ़ने के लिए है।’’ 

ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री ने क्या कहा

ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री वोंग ने प्रत्यक्ष रूप से चीन का नाम लिए बिना कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ‘‘संप्रभुता का सम्मान किया जाए और प्रतिस्पर्धा का जिम्मेदारी से प्रबंधन किया जाए।’’ उन्होंने एक ऐसे क्षेत्र के निर्माण के लिए सामूहिक रूप से काम करने का आह्वान किया, ‘‘जहां आकार या ताकत किसी देश के भाग्य का निर्धारण नहीं करती, जहां कोई देश किसी अन्य देश पर हावी ना हो, जहां हम सभी अपनी आकांक्षाओं को साझा करें। और उन आकांक्षाओं को साकार करने के लिए विकल्प उपलब्ध हों। मैंने पिछले दो वर्ष में हिंद-प्रशांत के इस दृष्टिकोण के प्रति ‘क्वाड’ की प्रतिबद्धता देखी है।’’ 

'यह आसान समय नहीं है'

जयशंकर ने कहा, ‘‘यह आसान समय नहीं है। एक बड़ी चुनौती वैश्विक आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करना है, साथ ही इसे जोखिम मुक्त करना भी है। आपूर्ति शृंखला को लचीला बनाने पर उसी तरह ध्यान केंद्रित करना है, जैसे हम विश्वसनीय और पारदर्शी डिजिटल साझेदारी के लिए प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के विकास ने असाधारण आयाम हासिल कर लिए हैं, जिससे हमारे जीने, सोचने और काम करने के तरीके में बहुत संभावनाएं पैदा हो गई हैं। एक तरह से हम पुनः वैश्वीकरण के दौर में हैं।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘यह केवल हमारे सामूहिक प्रयास ही हैं, जो अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को मानव-निर्मित या प्राकृतिक व्यवधानों से बचा सकते हैं।’’ ‘क्वाड’ देशों के विदेश मंत्रियों की यह बैठक रूस-यूक्रेन संघर्ष और हमास-इजराइल शत्रुता के बीच हो रही है। इस बैठक में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों के विश्व के विभिन्न हिस्सों में हो रही भू-राजनीतिक उथल-पुथल के परिणामों पर चर्चा करने की संभावना है। 

'क्वाड' में शामिल हैं ये देश 

भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने नवंबर 2017 में 'क्वाड' की स्थापना की थी, ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित की जा सके। दक्षिण चीन सागर हिंद और प्रशांत महासागरों के बीच स्थित है। चीन, दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा जताता है, जबकि फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इस समुद्री क्षेत्र को अपना हिस्सा बताते हैं। 

 

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