सिंगापुर: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन की तरफ से बार-बार किए जा रहे दावे को ‘बेतुका’ बताकर शनिवार को खारिज कर दिया। जयशंकर ने कहा कि यह सीमांत राज्य ‘‘भारत का स्वाभाविक हिस्सा’’ है। अरुणाचल पर चीन की ओर से अक्सर किए जाने वाले दावे और राज्य में भारतीय नेताओं के दौरे का चीन के विरोध करने पर अपनी सार्वजनिक टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि यह कोई नया मुद्दा नहीं है।
'दावे शुरू से बेतुके हैं'
एस जयशंकर ने यहां प्रतिष्ठित ‘एनयूएस इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज’ में एक व्याख्यान देने के बाद अरुणाचल मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह कोई नया मुद्दा नहीं है। मेरा मतलब है कि चीन ने दावा किया है, इसने अपने दावे को दोहराया है। ये दावे शुरू से बेतुके हैं और आज भी बेतुके बने हुए हैं।’’ जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि अरुणाचल प्रदेश ‘‘भारत का एक स्वाभाविक हिस्सा’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे लगता है कि हम इस पर बहुत स्पष्ट रहे हैं और हमारा एक समान रुख रहा है। मुझे लगता है कि आप जानते हैं कि यह ऐसी चीज है, जो वर्तमान में जारी सीमा वार्ता का हिस्सा है।
'किए गए बेतुके दावे'
विदेश मंत्रालय की तरफ से चीन के रक्षा मंत्रालय के बयान को खारिज किए जाने के कुछ दिनों बाद जयशंकर की यह टिप्पणी आई है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ‘‘हमने चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की उस टिप्पणी पर गौर किया, जिसमें भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के भूभाग को लेकर बेतुके दावे किए गए हैं।’’
'अरुणाचल भारत का अभिन्न हिस्सा'
मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘इस बारे में बेबुनियाद तर्क को दोहराना इस तरह के दावे को कोई वैधता नहीं प्रदान करता। अरुणाचल प्रदेश, भारत का अभिन्न हिस्सा था, है, और हमेशा रहेगा। इसके लोग हमारे विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का लाभ प्राप्त करते रहेंगे।’’ इससे पहले, चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने पर आपत्ति जताई थी। भाषा
यह भी पढ़ें:
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी की टिप्पणी, भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब; लगा दी क्लासपाकिस्तान को संकट से उबारने के लिए राष्ट्रपति जरदारी से सुझाया फॉर्मूला, सियासी दलों से की ये अपील