Sunday, December 22, 2024
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भारत-चीन संबंधों को सामान्य देखना चाहता है रूस...ताकि तीसरा विश्वयुद्ध हो तो कमजोर न पड़ें पुतिन!

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश और अमेरिका-चीन में भीषण होता टकराव, ईरान-इराक युद्ध,आर्मीनिया-अजरबैजान युद्ध और चीन-ताइवान तनाव जैसे मुद्दों ने तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ा दिया है। ऐसे में रूसी राष्ट्रपति पुतिन अपनी किसी भुजा को कमजोर नहीं होने देना चाहते।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Feb 06, 2023 21:16 IST, Updated : Feb 07, 2023 0:03 IST
भारत के पीएम मोदी और चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग
Image Source : FILE IMAGE भारत के पीएम मोदी और चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग

नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश और अमेरिका-चीन में भीषण होता टकराव, ईरान-इराक युद्ध,आर्मीनिया-अजरबैजान युद्ध और चीन-ताइवान तनाव जैसे मुद्दों ने तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ा दिया है। ऐसे में रूसी राष्ट्रपति पुतिन अपनी किसी भुजा को कमजोर नहीं होने देना चाहते। रूस और चीन के संबंध काफी मजबूत हैं और दोनों ही देशों की अमेरिका से कट्टर दुश्मनी है। इधर भारत से भी रूस की पारंपरिक और बेहद गहरी दोस्ती है। साउथ-ईस्ट एशिया में भारत और चीन सबसे मजबूत और ताकतवर देश हैं, जो किसी भी देश को नाको चने चबवा सकते हैं। मगर भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं। ऐसे में भारत-चीन भिड़े तो इसका साइड इफेक्ट रूस को भी उठाना पड़ सकता है, क्योंकि इससे रूस वैश्विक लड़ाई में कमजोर होगा। इसलिए रूस भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य होते देखना चाहता है।

रूस को पता है कि यदि भारत और चीन दोनों देश मजबूती से उसके साथ खड़े रहे तो अमेरिका और पूरा यूरोप मिलकर भी पुतिन का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। रूस ने सोमवार को अमेरिका पर अपने फायदे के लिए भारत और चीन के बीच ‘‘विरोधाभासों’’ का ‘‘सक्रियता’’ से दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। रूस का कहना है कि कि मॉस्को और नई दिल्ली ने दशकों पुराने संबंधों पर आधारित परस्पर विश्वास हासिल किया है जिससे दोनों पक्षों को मौजूदा भूराजनीतिक अशांति से निपटने में मदद मिलेगी। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने एक सम्मेलन में कहा कि यूक्रेन संघर्ष पर अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों के ‘‘अहंकारी’’ और ‘‘लड़ाकू’’ रवैये से बनावटी भू-राजनीतिक बदलाव के कारण भारत-रूस के संबंध ‘‘तनाव’ में हैं। उन्होंने कहा कि मॉस्को इस्लामाबाद के साथ अपनी आर्थिक भागीदारी बढ़ाना चाहता है क्योंकि एक ‘‘कमजोर’’ पाकिस्तान, भारत समेत पूरे क्षेत्र के लिए सही नहीं है। बाद में एक ट्वीट में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मतलब था कि एक ‘‘अस्थिर’’ पाकिस्तान क्षेत्र में किसी के भी हित में नहीं है। वह ‘इंडिया राइट्स नेटवर्क’ और ‘सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स’ द्वारा आयोजित ‘भारत-रूस सामरिक साझेदारी में अगले कदम: पुरानी मित्रता नए क्षितिज’ पर एक सम्मेलन में बोल रहे थे।

भारत-चीन के सामान्य संबंधों से पूरी दुनिया को होगा फायदा

एक सवाल के जवाब में अलीपोव ने कहा कि रूस, भारत-चीन के संबंधों को सामान्य देखना चाहता है और इससे न केवल एशिया की सुरक्षा बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा को काफी फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि इसमें बहुत गंभीर बाधाएं हैं, दोनों देशों के बीच बहुत गंभीर सीमा समस्या है। हमारी चीन के साथ सीमा समस्या है, एक वक्त चीन के साथ सशस्त्र संघर्ष हुआ, बातचीत करने में हमें करीब 40 साल लग गए लेकिन आखिरकार एक समाधान तलाशने का यही एकमात्र रास्ता है।’’ अलीपोव ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कहने जा रहा हूं कि भारत या चीन को क्या करना चाहिए। यह भारत और चीन के बीच पूरी तरह से एक द्विपक्षीय मामला है और हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करते हैं। लेकिन जितना जल्दी दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो, उतना ही पूरी दुनिया के लिए यह बेहतर होगा। अगर हमारे प्रयासों की आवश्यकता पड़ी तो हम यह करेंगे।

भारत और रूस के संबंध में आया तनाव
भारत-रूस संबंधों के ‘तनाव’ में होने की अपनी टिप्पणियों को स्पष्ट करते हुए रूसी राजूदत ने दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी पर पश्चिमी प्रतिबंधों के असर की ओर इशारा किया। अलीपोव ने कहा कि रूस भारत के साथ सहयोग में विविधता लाना चाहता है और दोनों देशों के बीच संबंध किसी के खिलाफ नहीं हैं। भारत के साथ रूस के समग्र संबंधों पर उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका के विपरीत हमें एक-दूसरे को तथा दुनिया को यह बताने की जरूरत नहीं है कि कुछ वजहों से अतीत में हमारे बीच करीबी साझेदारी संभव नहीं हो पायी। अलीपोव ने दावा किया कि अगर अमेरिका का चीन के साथ तालमेल बैठ जाता है या नयी दिल्ली बीजिंग के साथ संबंध सुधारने में कामयाब हो जाता है तो भारत के प्रति अमेरिका का रवैया बदल सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए वह अपने फायदे के लिए भारत और चीन के बीच विरोधाभासों का सक्रियता से दुरुपयोग कर रहा है।

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