Highlights
- चीन के विदेश मंत्रालय ने रूसी दावे को कई बार दोहराते हुए और इसकी जांच की मांग की है
- रूस, चीन और अमेरिका रासायनिक या जैविक हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संधि के हस्ताक्षरकर्ता हैं
- संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि उसे ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है जो दावे का समर्थन करे
बैंकाक: रूस द्वारा यूकेन पर हमला तेज किए जाने के बीच क्रेमलिन के इस भड़काऊ और निराधार दावे को फैलाने में चीन से मदद मिल रही है कि अमेरिका यूक्रेन में जैविक हथियार प्रयोगशालाओं का वित्तपोषण कर रहा है। अमेरिका ने रूस के षड्यंत्रकारी सिद्धांत का खंडन करने के लिए तत्परता दिखायी है। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि उसे ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है जो दावे का समर्थन करे। रूस और चीन के बीच साझेदारी का उद्देश्य रूसी आक्रमण के तर्क को और मजबूत करना है। दोनों देशों ने कुछ सप्ताह पहले कहा था कि उनके बीच साझेदारी की कोई सीमा नही हैं। हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने इसे "सूचना युद्ध" कहा है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने रूसी दावे को कई बार दोहराते हुए और इसकी जांच की मांग की है। मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘इस रूसी सैन्य अभियान ने यूक्रेन में अमेरिकी प्रयोगशालाओं के रहस्य को उजागर कर दिया है और यह ऐसा कुछ नहीं है जिसे बेपरवाह तरीके से निपटा जा सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐसा कुछ नहीं है जिसे वे यह कहकर उलझा सकें कि चीन का बयान और रूस की खोज दुष्प्रचार है और बेतुका और हास्यास्पद है।’’
दरअसल, पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने रूसी दावे को ‘‘बेतुका’’ कहा था, लेकिन बृहस्पतिवार को सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के समक्ष सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने इसको लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की कि हो सकता है कि रूस खुद से एक रासायनिक या जैविक हमले के लिए आधार तैयार कर रहा हो जिसे वह फिर अमेरिका या यूक्रेन पर मढ़ देगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह कुछ ऐसा है, जैसा कि आप सभी अच्छी तरह से जानते हैं, रूस के हथकंडों का हिस्सा है।’’
बर्न्स ने कहा, ‘‘उन्होंने अपने ही नागरिकों के खिलाफ इन हथियारों का इस्तेमाल किया है, उन्होंने सीरिया और अन्य जगहों पर इनके उपयोग को प्रोत्साहित किया है, इसलिए यह कुछ ऐसा है जिसे हम बहुत गंभीरता से लेते हैं।’’ रूस, चीन और अमेरिका रासायनिक या जैविक हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संधि के हस्ताक्षरकर्ता हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आकलन है कि रूस ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दुश्मनों के खिलाफ हत्या के प्रयासों को अंजाम देने में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है। रूस सीरिया में असद सरकार का भी समर्थन करता है, जिसने एक दशक लंबे गृहयुद्ध में अपने लोगों के खिलाफ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया।
मॉस्को ने शुरू में दावा किया था कि उसके आक्रमणकारी बलों को यूक्रेन में जैविक हथियारों के अनुसंधान को छिपाने के जल्दबाजी में किए गए प्रयासों के सबूत मिले हैं। रूसी सेना के विकिरण, रासायनिक और जैविक सुरक्षा बल के प्रमुख इगोर किरिलोव ने बृहस्पतिवार को कहा कि कीव, खारकीव और ओडेसा में अमेरिकी प्रायोजित प्रयोगशालाएं ऐसे खतरनाक रोगाणुओं पर काम कर रही थीं जिन्हें विशेष तौर पर रूसियों और अन्य स्लाव लोगों को लक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
किरिलोव ने कहा, ‘‘हम एक उच्च संभावना के साथ कह सकते हैं कि अमेरिका और उसके सहयोगियों का एक लक्ष्य विभिन्न जातीय समूहों को चुनिंदा रूप से संक्रमित करने में सक्षम जैव एजेंटों का निर्माण करना है।’’ रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इसी तरह का दावा करते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था कि यूक्रेन में ‘‘अमेरिकी निर्देशित प्रयोगशालाएं जातीय रूप से लक्षित जैविक हथियारों को विकसित करने’’ के लिए काम कर रही थीं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मास्को के दावे पर चर्चा करने के लिए रूस के अनुरोध पर शुक्रवार को एक बैठक निर्धारित की। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन प्रवक्ता ओलिविया डाल्टन ने कहा कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल इसे ‘‘उनके दुष्प्रचार को बढ़ावा देने का स्थान’’ नहीं बनने देगा। चीन ‘चाइना ग्लोबल टेलीविज़न नेटवर्क’ की वेबसाइट पर इस दावे को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है।
इसका शीर्षक है, ‘‘रूस ने यूक्रेन में अमेरिकी वित्त पोषित जैव-कार्यक्रम के साक्ष्य का खुलासा किया’’ और ‘‘चीन ने अमेरिका से यूक्रेन में जैव प्रयोगशाला के बारे में अधिक जानकारी का खुलासा करने का आग्रह किया।’’ चीन कम्युनिस्ट पार्टी के ‘ग्लोबल टाइम्स’ अखबार ने बृहस्पतिवार को एक स्टोरी प्रकाशित की जिसका शीर्षक था ‘‘अमेरिका ने यूक्रेन में अपने जैवप्रयोगशाला के बारे में अफवाहों का खंडन करने की कोशिश की, लेकिन क्या हम इस पर विश्वास कर सकते हैं?’’