ब्रसेल्स। रूस के पक्ष में खड़ा चीन अब लगातार मुखर होता जा रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच जंग को एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद चीन अब पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों पर लगातार जवाब दे रहा है।
दरअसल, यूरोपीय संघ के उच्च अधिकारियों ने बीजिंग से उम्मीद जताई थी कि वह यूक्रेन पर रूस के हमले की प्रतिक्रिया में रूस पर लगाई गई आर्थिक पाबंदियों में बाधा नहीं बनेगा। लेकिन चीन ने रूस के विरुद्ध पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की शुक्रवार को फिर आलोचना की। चीन के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए आंशिक तौर पर अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि नाटो सैन्य गठबंधन को रूस की सीमा के पास तक विस्तार देने के चलते यह युद्ध हुआ।
27 में से 21 नाटो सदस्य यूरोपीय संघ के
डिजिटल माध्यम से आयोजित एक सम्मेलन में, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल, आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डर लेयेन और ईयू के विदेश निति प्रमुख जोसेप बोरेल ने चीन के राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री ली क्वींग से अनुरोध किया कि बीजिंग यूक्रेन में जारी युद्ध को समाप्त करने में सहायता करें। यूरोपीय संघ के 27 में से 21 देश नाटो के सदस्य हैं।
वॉन डर लेयेन ने कहा कि दोनों पक्षों के नेताओं ने कई मुद्दों पर “स्पष्ट रूप से विरोधी विचारों का आदान-प्रदान” किया और उम्मीद जताई कि चीन एक शक्तिशाली देश के रूप में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर युद्ध समाप्त करने के लिए रूस से कहेगा।
उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि चीन यदि रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करता तो कम से कम उसमें बाधा नहीं बनेगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने एक दैनिक वार्ता में कहा कि उनका देश प्रतिबंधों के द्वारा समस्या का समाधान निकालने को तरजीह नहीं देता।