Russia-Iran: कहते हैं दुश्मन का दुश्मन, दोस्त होता है। अब इस समय जबकि रूस और यूक्रेन में जंग चल रही है। ऐसे में रूस का दुश्मन भी अमेरिका और ईरान जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखे हैं, उसका दुश्मन भी अमेरिका। लिहाजा इस समय रूस और ईरान में दोस्ती परवान चढ़ रही है। इसी दोस्ती की खातिर रूस ने इजरायल के दुश्मन ईरान को सुखोई-35 जैसा खतरनाक फाइटर जेट दिया है। क्योंकि रूस को ईरानी ड्रोन की काफी जरूरत थी, जिसका धड़ल्ले से उपयोग रूस ने जंग में किया। ईरानी ड्रोन के बदले रूस ने अपना अत्याधुनिक सुखोई-35 ईरान को दिया है, जिससे ईरान अब अपने दुश्मन इजरायल के छक्के छुड़ाएगा।
जानिए सुखोई-35 की खासियत
हाल के समय में ईरान ने हजारों की संख्या में अपने ड्रोन विमान रूस को दिए हैं और कहा जा रहा है कि इसके बदले में रूस उसे सुखोई-35 फाइटर जेट देने जा रहा है। ईरान को करीब 50 साल बाद पहली बार कोई अत्याधुनिक फाइटर जेट मिलने जा रहा है। सुखोई-35 फाइटर जेट चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है और इसे खासतौर पर हवा में प्रभुत्व स्थापित करने के लिए बनाया गया है।
अगले सप्ताह मिल सकती है सुखोई-35 की खेप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ईरानी प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अगले सप्ताह ईरान को इन विमानों की पहली खेप मिलने जा रही है। इन विमानों को सुपर फ्लैंकर नाम दिया गया है और जल्द ही ये ईरान पहुंच जाएंगे। रूस के इन विमानों को ईरानी एयरफोर्स के लिए बड़ी घटना मानी जा रही है।
50 साल बाद मिलने जा रहा आधुनिक फाइटर जेट
ईरान ने पिछले 33 साल से कोई भी फाइटर जेट आयात नहीं किया है। ईरान को साल 1979 में इस्लामिक क्रांति से पहले 79 विमान मिल गए थे। इसके क्रांति के बाद अमेरिका और ईरान के बीच संबंध खराब हो गए जो अभी तक नहीं सुधरे हैं। अमेरिका के प्रतिबंधों के बाद भी ईरान विमानों को अभी भी उड़ाने में सफल रहा है।
1990 के बाद अब मिल रहे रूसी फाइटर जेट
ईरान के इन अमेरिकी विमानों ने इराक के साथ युद्ध में अपना लोहा मनवाया था। ईरान ने 1990 में सोवियत संघ से MiG-29A विमान खरीदे थे लेकिन यह अमेरिकी विमान के सामने कहीं नहीं टिक सका। इसी वजह से ईरान ने सोवियत संघ से ज्यादा विमान नहीं खरीदे। अब जाकर सुखोई-35 ईरान को मिल रहा है। सुखोई-35 से उसे इजरायल से निपटने में काफी आसानी हो जाएगी। इजरायल और ईरान के बीच सीरिया में अप्रत्यक्ष जंग चल रही है।