Monday, December 23, 2024
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अफगानिस्तान की हुकूमत में पड़ी दरार, भिड़ गए तालिबान के हक्कानी और कंधारी गुट, अब क्या होगा?

अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान के हक्कानी और कंधारी दो गुट आपस में भिड़ गए हैं। आलम यह है कि दोनों एकदूसरे को फूटी आंख नहीं सु​हाते हैं।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Jul 06, 2023 20:39 IST, Updated : Jul 06, 2023 20:39 IST
अफगानिस्तान की हुकूमत में पड़ी दरार, भिड़ गए तालिबान के हक्कानी और कंधारी गुट, अब क्या होगा?
Image Source : FILE अफगानिस्तान की हुकूमत में पड़ी दरार, भिड़ गए तालिबान के हक्कानी और कंधारी गुट, अब क्या होगा?

Afghanistan: अफगानिस्तान में जब से तालिबान की हुकूमत आई है, तभी से अफगानिस्तान अस्थिर हो गया है। यहां आए दिन ​महिलाओं के अधिकार कम किए जा रहे हैं। महिलाओं और बच्चों पर जुल्म बढ़े हैं। आम जनता कभी अकाल, तो कभी भुखमरी से परेशान है। ऐसे में तालिबान की सरकार एक सुदृढ़ शासन चलाना तो दूर, देश की हालत को और रसातल में ले जा रही है। रही सही कसर तालिबान में चल रही आपसी खींचतान ने पूरी कर दी है। अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान के हक्कानी और कंधारी दो गुट आपस में भिड़ गए हैं। आलम यह है कि दोनों एकदूसरे को फूटी आंख नहीं सु​हाते हैं। 

हक्कानी गुट का नेतृत्व तालिबान सरकार में गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी कर रहा है। वहीं कंधारी गुट की कमान मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद युसूफ के हाथ में है। तालिबान के इस आंतरिक सत्ता संघर्ष से अफगानिस्तान के और ज्यादा अस्थिर होने का खतरा पैदा हो गया है। अफगानिस्तान मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यहां न दवाएं हैं, न ही अनाज। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की कमर टूट गई है। ऐसे में भी तालिबान शासन महिलाओं के खिलाफ लगातार प्रतिबंधों की घोषणाएं कर रहा है।

अनस को विदेश मंत्री बनाना चाहता है हक्कानी

सिराजुद्दीन हक्कानी के नेतृत्व वाला हक्कानी-गुट अमीर खान मुत्ताकी को हटाना चाहता है। मुत्ताकी तालिबान सरकार में कार्यवाहक विदेश मंत्री हैं। हक्कानी गुट चाहता है कि तालिबान नियंत्रित सरकार के वरिष्ठ अधिकारी जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे अनस हक्कानी को नया विदेश मंत्री चुना जाए। हालांकि, कंधारी गुट शुरू से ही हक्कानी को तालिबान के लिए खतरे के तौर में देखता है। यही कारण है कि कंधारी गुट अनस हक्कानी को नया विदेश मंत्री नियुक्त करने में झिझक रहा है। 

पीएम बनना चाहता है सिराजुद्दीन

तालिबान के भीतर हक्कानी समूह के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी उर्फ खलीफा साहब खुद भी बहुत सारी महत्वकांक्षाएं पाले बैठा है। सिराजुद्दीन की नजर प्रधानमंत्री या उपप्रधानमंत्री की भूमिका पर टिकी हैं लेकिन वह पहले अपने आंतरिक मंत्रालय पर फोकस कर रहा है। सिराजुद्दीन को सबसे बड़ी चुनौती कंधार में बैठे तालिबान नेताओं से मिल रही है। तालिबान सरकार के जनरल डायरेक्टरेट ऑफ इंटेलिजेंस (जीडीआई) के वर्तमान उप प्रमुख और सिराजुद्दीन के पुराने दोस्त ताज मीर जवाद भी इसके खिलाफ हैं। ताज हक्कानी नेटवर्क के लिए एक वरिष्ठ कमांडर के रूप में काम कर चुके हैं। इससे तालिबान के भीतर विभाजन और गहरा हो गया है। सिराजुद्दीन हक्कानी ने खुद को बचाने और अपनी भूमिका को बनाए रखने के लिए कड़ी सुरक्षा और सावधानियां बरतते हुए खुद को सुरक्षित कर लिया है।

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