Ranil Wickremesinghe: श्रीलंका के पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके निजी आवास को आग लगाए जाने के बाद पहली बार सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोमवार को कहा कि केवल 'हिटलर जैसी मानसिकता' वाले लोग ही इमारतों में आग लगा सकते हैं। विक्रमसिंघे ने TV पर प्रसारित एक बयान में कहा कि उन्होंने PM का पद इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि अर्थव्यवस्था संकट में थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने अर्थव्यवस्था के पुन: निर्माण का कठिन कार्य ऐसे समय में अपने हाथ में लिया, जब लोग ईंधन, खाना पकाने वाली गैस और बिजली के अभाव में मुश्किलों का सामना कर रहे थे। विक्रमसिंघे ने कहा, "जीवनयापन की लागत अधिक थी, ईंधन नहीं था, विदेशी मुद्रा संकट था। लोगों की नौकरियां जा रही थीं। मैंने लोगों की पीड़ा को देखा।"
"IMF ने कहा है अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में करीब चार साल लगेंगे"
विक्रमसिंघे ने कहा कि IMF ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में करीब चार साल लगेंगे। पहला साल सबसे मुश्किल भरा होगा। उन्होंने कहा कि उस रात जो हुआ, उसकी "पृष्ठभूमि में एक घटना" थी। पीएम ने कहा कि एक मुस्लिम दल के नेता ने ट्वीट करके यह गलत जानकारी दी थी कि उन्होंने सर्वदलीय सरकार के गठन का विरोध किया है, और इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। इसके कारण उनके आवास पर आगजनी की घटना हुई। विक्रमसिंघे ने इस ट्वीट में दी गई जानकारी को गलत बताते हुए कहा था कि वह सर्वदलीय सरकार के गठन के बाद इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं।
विक्रमसिंघे ने कहा कि एक टेलीविजन चैनल ने उनके आवास का घेराव करने के लिए लोगों को भड़काया। उन्होंने टीवी चैनल से उनके आवास पर हमले के लिए प्रदर्शनकारियों को नहीं भड़काने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने नौ जुलाई को निर्धारित अपनी सभी बैठकों को स्थगित कर दिया था और वे अपने आवास पर ही रहे। पुलिस ने कुछ गड़बड़ होने की आशंका के मद्देनजर उन्हें अपने आवास से कहीं और जाने को कहा। पीएम ने कहा कि इसी काराण वह और उनकी पत्नी शाम को अपने घर से निकल गए थे।
मेरे पास केवल एक ही घर था, जिसे अब जला दिया गया है: विक्रमसिंघे
विक्रमसिंघे ने कहा कि उनके पास केवल एक ही घर था, जिसे अब जला दिया गया है। उन्होंने कहा, "मेरे एकमात्र घर में आग लगा दी गई। मेरे पुस्तकालय में 2,500 किताबें थीं, जो मेरी एकमात्र संपत्ति थीं। इसके अलावा 200 साल से अधिक पुरानी मूल्यवान पेंटिंग थीं। उन सभी को नष्ट कर दिया।" उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने अपनी सभी मूल्यवान पुस्तकों को श्रीलंका के एक कॉलेज और एक अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्था को दान करने का फैसला किया था।