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‘समाजवादी’ नेता रामसहाय यादव को नेपाल का उपराष्ट्रपति चुना गया, विरोधी को आसानी से दी मात

रामसहाय प्रसाद यादव को उनकी अपनी पार्टी के अलावा, नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-माओइस्ट सेंटर और सीपीएन-यूनीफाइड सोशलिस्ट के साथ-साथ अन्य दलों का समर्थन प्राप्त था।

Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published : Mar 18, 2023 6:35 IST, Updated : Mar 18, 2023 6:35 IST
Ram Sahaya Prasad Yadav, Ram Sahaya Yadav, Nepal Vice President
Image Source : INDIA TV नेपाल के उपराष्ट्रपति रामसहाय प्रसाद यादव।

काठमांडू: नेपाल के मधेस क्षेत्र के कद्दावर नेता रामसहाय प्रसाद यादव शुक्रवार को देश के तीसरे उपराष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। इससे प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ की अगुवाई वाली सरकार को मजबूती मिलेगी। जनता समाजवादी पार्टी (JSP) के उम्मीदवार रामसहाय प्रसाद यादव ने सीपीएन-यूएमएल की अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी अष्ट लक्ष्मी शाक्य को आसानी से हरा दिया और वह हिमालयी राष्ट्र के तीसरे उपराष्ट्रपति बने। वह भारत की सीमा से लगे मधेस क्षेत्र के पहले नेता हैं, जो इस पद पर पहुंचे हैं।

प्रमिला यादव को मिले सिर्फ 48 वोट

निर्वाचन आयोग के मुताबिक, 52 साल के यादव को 30,328 मत मिले, जबकि शाक्य को 16,328 मतों से ही संतोष करना पड़ा। यादव को उनकी अपनी पार्टी के अलावा, नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-माओइस्ट सेंटर और सीपीएन-यूनीफाइड सोशलिस्ट के साथ-साथ अन्य दलों का समर्थन प्राप्त था। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने शुक्रवार को हुए उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था। इसी तरह जनमत पार्टी की ममता झा को 2537 वोट मिले हैं। जेएसपी नेपाल से ही प्रमिला यादव को महज 48 वोट मिले, हालांकि उन्होंने बीच में अपनी उम्मीदवारी वापस लेने की घोषणा कर दी थी।

9 मार्च को रामचंद्र पौडेल बने थे राष्ट्रपति
संघीय संसद के 333 सदस्य और प्रांतीय विधानसभाओं के 550 सदस्य उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डाल सकते थे। एक सांसद के वोट का भार 79 और प्रांतीय विधानसभा सदस्य के मत का भार 48 होता है। नेपाली कांग्रेस के रामचंद्र पौडेल को 9 मार्च को नेपाल का नया राष्ट्रपति चुना गया था। मधेस क्षेत्र के नेता रामसहाय यादव निवर्तमान उपराष्ट्रपति नंद बहादुर पुन का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल पूरा हो गया है। नेपाल के दक्षिणी तराई क्षेत्र में रहने वाले मधेसी समुदाय के लोगों में ज्यादातर भारतीय मूल के हैं।

1990 में की थी सियासी सफर की शुरुआत
बता दें कि वर्ष 2008 में नेपाल ने संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र व्यवस्था को अंगीकार किया था, जिसके बाद से यह उपराष्ट्रपति पद के लिए तीसरा चुनाव है। नेपाल में उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1990 में नेपाल सद्भावना पार्टी से की थी। वह मधेसी जन अधिकार फोरम के संस्थापक महासचिव थे और पहले मधेस आंदोलन (2007) में उनकी सक्रिय भूमिका थी। यादव पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में बारा-2 से प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए थे।

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