Highlights
- 15 और 16 सितंबर को उजबेकिस्तान के समरकंद में होगा सम्मेलन
- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और पाक के पीएम रहेंगे मौजूद
- मोदी और शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात पर टिकीं दुनिया की निगाहें
SCO Summit Samarkand:उजबेकिस्तान के समरकंद में 15 और 16 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी पर दोनों देशों की ओर से मुहर लगा दी गई है। हालांकि द्विपक्षीय वार्ता पर अभी भारत और चीन की तरफ से कुछ भी संकेत नहीं दिया गया है। एससीओ सम्मेलन में मोदी और जिनपिंग के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उजबेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जीयोयेव शामिल होंगे। इस दौरान पीएम मोदी और पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी प्रस्तावित है।
इस दौरान भारत और चीन दोनों ओर से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम मोदी और जिनपिंग भी द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं, लेकिन अभी इस बारे में कोई कंफर्मेशन दोनों देशों ने नहीं किया है। सूत्र बताते हैं कि दोनों देश इसे लेकर आपस में लगातार वार्ता कर रहे हैं। वहीं पाकिस्तान के साथ फिलहाल कोई वार्ता होने की उम्मीद नहीं है।
14 से 16 सितंबर तक उजबेकिस्तान में रहेंगे जिनपिंग
चीन ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले दो साल में पहली बार इस सप्ताह देश से बाहर कजाकिस्तान की यात्रा करेंगे और उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि शी समरकंद शहर में एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 22वीं बैठक में भाग लेंगे और 14 से 16 सितंबर तक कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान की यात्रा करेंगे। शी 14 सितंबर को कजाकिस्तान का दौरा करेंगे, जो जनवरी 2020 के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा होगी। शी ने आखिरी बार 17-18 जनवरी, 2020 को म्यांमा का दौरा किया था। म्यांमा से वापसी के कुछ ही दिनों बाद, चीन ने वुहान में कोरोना वायरस के बड़े पैमाने पर प्रकोप की घोषणा की। बाद में यह वैश्विक महामारी में बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हुई। तब से, शी चीन से बाहर नहीं गए हैं और डिजिटल तरीके से वैश्विक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं।
मध्य एशियाआई गणराज्यों की भारत करेगा अध्यक्षता
चीन की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार जिनपिंग कजाकिस्तान के बाद शी पड़ोसी उज्बेकिस्तान की यात्रा करेंगे, जहां एससीओ शिखर सम्मेलन 15-16 सितंबर को होने वाला है। बीजिंग मुख्यालय वाला एससीओ आठ सदस्यीय आर्थिक और सुरक्षा संगठन है जिसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं। समरकंद में शिखर सम्मेलन के बाद भारत मध्य एशियाई गणराज्यों के इस प्रभावशाली समूह की अध्यक्षता संभालेगा। सम्मेलन में ईरान को औपचारिक रूप से एससीओ में शामिल किए जाने की संभावना है।
पीएम मोदी और पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता संभव
एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शामिल होने की उम्मीद है। रूसी अधिकारियों ने घोषणा की है कि पुतिन और शी समरकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात करेंगे, जो इस साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से उनकी पहली यात्रा होगी। विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एससीओ में भाग लेने के लिए 15-16 सितंबर को उज्बेकिस्तान जाएंगे और शिखर सम्मेलन से इतर कुछ द्विपक्षीय बैठकें भी कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव के आमंत्रण पर, प्रधानमंत्री मोदी एससीओ के राष्ट्र प्रमुखों की परिषद की 22 वीं बैठक में भाग लेने के लिए 15-16 सितंबर को समरकंद का दौरा करेंगे।
तीन साल बाद प्रमुख एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्ष होंगे एक साथ
वर्ष 2019 के बाद से पहले प्रत्यक्ष रूप से आयोजित हो रहे एससीओ शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकों की संभावना के मद्देनजर सभी की इस पर करीबी नजर रहेगी। इस पर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है कि मोदी, शी या शरीफ के साथ बैठक करेंगे या नहीं, लेकिन यह लंबे समय के बाद होगा कि ये सभी नेता प्रत्यक्ष रूप से शिखर बैठक के लिए एक ही स्थान पर होंगे।
मोदी और जिनपिंग ब्रासीलिया में होंगे आमने-सामने
वर्ष 2019 में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) से इतर ब्रासीलिया में अपनी बैठक के बाद मोदी और शी पहली बार आमने-सामने होंगे। तब से, मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध बना रहा, जो अभी भी जारी है। चीन और भारत ने बृहस्पतिवार को पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में ‘पेट्रोलिंग प्वाइंट’ 15 से ‘‘समन्वित और योजनाबद्ध तरीके से’’ अपने सैनिकों को पीछे हटाने की घोषणा की। सोमवार को आधिकारिक तौर पर इस कार्य को पूरा करने की घोषणा की गई। हालांकि दोनों नेताओं की संभावित मुलाकात को लेकर अमेरिका की खास नजर है।