बीजिंग: कृत्रिम प्रजनन पद्धति के इस्तेमाल के बाद चीन में विशाल पांडा की आबादी बढ़कर लगभग 1,900 हो गई है। आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। भालू के परिवार के ये सदस्य गोल चेहरे, मोटे शरीर और शरीर पर सफेद तथा काले बालों के विशिष्ट निशान के लिए पहचाने जाते हैं। इनकी आबादी बढ़ने के साथ ही ये लुप्तप्राय से संवेदनशील श्रेणी में आ गए हैं। चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि विशाल पांडा का प्रजनन सबसे कठिन प्रक्रिया थी।
बड़ी समस्या थी कृत्रिम प्रजनन
चीन संरक्षण और अनुसंधान केंद्र के मुख्य विशेषज्ञ ली डेसेंग ने कहा, ‘‘शुरुआती दिनों में विशाल पांडा का कृत्रिम प्रजनन एक बड़ी समस्या थी। 1980 के दशक के दौरान हमने केवल एक शिशु पांडा का प्रजनन किया जो दो साल तक जीवित रहा।’’ ली ने सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ को बताया कि तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के साथ अब कृत्रिम प्रजनन दर और पांडा शावक के जीवित रहने की दर में उल्लेखनीय सुधार देखा जा रहा है और पांडा के जीवित रहने की औसत अवधि में भी वृद्धि हुई है।
1980 के दशक में 1,100 थी आबादी
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि विशाल पांडा की आबादी 1980 के दशक में लगभग 1,100 थी जो बढ़कर लगभग 1,900 हो गई है। ‘द इंटरनेशन यूनियन फॉर कंजर्वेशन’ ने विशाल पांडा की आबादी बढ़ने के बाद इसे लुप्तप्राय से संवेदनशील श्रेणी में डाल दिया है। (भाषा)
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