संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की मंगलवार की एक रिपोर्ट चीन के लिए थोड़ी परेशान करने वाली हो सकती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 60 साल में पहली बार देश की आबादी में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं एक और बात जो चीन सरकार की सिरदर्दी बढ़ा सकती है, उसके मुताबिक भारत इस क्षेत्र में उससे आगे निकलने जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 तक भारत की आबादी 1.417 अरब थी, जबकि चीन की आबादी 1.4126 थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2050 तक चीन की आबादी में 1.3 अरब की कमी आएगी।
भारत को फायदा मिलेगा
चीन के लिए जनसंख्या में कमी का अर्थ बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का उभरना है। इन मोर्चों पर जहां भारत को फायदा मिलेगा, वहीं चीन कहीं पिछड़ता नजर आएगा। चीन जो कि अब तक दुनिया की तीसरी महाशक्ति है, भारत से यह ताज खो सकता है। अधिक जनसंख्या का अर्थ है अधिक व्यापार और महाशक्ति का दर्जा बढ़ना। विशेषज्ञों के अनुसार जनसंख्या किसी भी देश की आर्थिक उत्पादकता और प्रगति का सूचक होती है। पिछले कई सालों से भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, पिछले एक दशक में भारत की विकास दर 5.5 प्रतिशत रही है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि अधिक आबादी भारत के लिए और चुनौतियां भी लाएगी। देश की गरीबी दर थोड़ी कम हुई है लेकिन फिर भी आर्थिक असमानता जारी है।
भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
भारत अब ब्रिटेन की जगह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2028 तक भारत जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अब बात करते हैं चीन की जहां घटती जनसंख्या का असर अभी से ही देखा जा सकता है। देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है। जीरो कोविड नीति से बाजार की चाल प्रभावित हुई और उपभोक्ताओं का विश्वास भी कमजोर हुआ।
बूढ़े चीन की घटी आबादी
चीन की ज्यादातर आबादी बूढ़ी है और अब आबादी घट रही है। जानकारों के मुताबिक ये दोनों कारण किसी भी देश की आर्थिक प्रगति पर रोक लगाते हैं। टोरंटो स्थित निवेश फर्म रिसोर्सेज एशिया के प्रबंध निदेशक रॉबर्ट बोल्हम का कहना है कि चीन की जनसंख्या में गिरावट और उसकी जीडीपी के कमजोर होने के बीच सीधा संबंध है।