कर्ज में डूबे पाकिस्तान को फिर करारा झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने उसके कर्ज देने के प्रस्ताव को फिर खारिज कर दिया है। पाकिस्तान इन दिनों बुरे हालातों से गुजर रहा है। उसकी इकोनॉमी की बुरी तरह कमर टूट चुकी है। कटोरा लेकर वह हर देश के पास जाकर कर्ज की भीख मांग रहा है। चीन ने उसे काफी कर्ज दे रखा है, लेकिन उसकी ब्याज दर बहुत ज्यादा है। अरब और यूएई ने भी पाकिस्तान से किनारा करना शुरू कर दिया है। पाकिस्ताना को कर्ज चुकाने के लिए ही बड़े कर्ज की जरूरत है। उसे एक बड़ी उम्मीद IMF से थी, लेकिन आईएमएफ ने भी पाकिस्तान को झटका दे दिया है। उधर, आटे की कमी, पेट्रोल के आसमान छूते भाव, बिजली की किल्लत और अंधकार में डूबे देश की हालत लंबे समय तक ऐसे ही चलती रही, तो आगे जाकर जिन्ना का यह देश बिखर भी सकता है।
आईएमएफ से 23 बार मदद मांगकर बना दिया अनोखा रिकॉर्ड
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने पाकिस्तान को एक बार फिर झटका दिया है। बेलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ की शरण में पहुंचे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तरफ से जो सर्कुलर लोन प्लान पेश किया गया था, उसे खारिज कर दिया गया है। आईएमएफ के पास 23 बार मदद के लिए जाने की वजह से पाकिस्तान ने एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। इस बार पाकिस्तान के लिए स्थितियां सबसे ज्यादा मुश्किल हैं। पाकिस्तान ने आईएमएफ का कर्ज हासिल करने के लिए अमेरिका की भी मदद लेनी चाही है। चीन से कर्ज तो मिला है लेकिन उस पर ब्याज इतना ज्यादा है कि चुका पाना काफी मुश्किल हो सकता है। भारत से टूटकर बना यह मुल्क अब पूरी तरह से बिखरने की तरफ बढ़ चुका है।
चीन से कर्ज मिला, पर ब्याज दरें बहुत ज्यादा
चीन से कर्ज मांगने की हिमाकत पाकिस्तान नहीं करना चाहता, क्योंकि चीन के लोन की ब्याज दरें काफी हैं। हालांकि चीन वह देश है जिसने पाकिस्तान को सबसे ज्यादा कर्ज दिया है। चीन का कुल 30 अरब डॉलर का कर्ज पाकिस्तान पर है। यह देश के कुल कर्ज का 30 फीसदी है। लेकिन अब पाकिस्तान चीनी ब्याज दरों और आईएमएफ की मांग के बीच फंसकर रह गया है। पिछले महीने पाकिस्तान को यूएई से तीन अरब डॉलर की मदद मिली है और इस वजह से यह कंगाल होने से बच गया। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की मदद दी है। यह रकम एक महीने का तेल आयात पूरा करने के लिए भी काफी नहीं है।
आईएमएफ की शर्तों को मानने से कर दिया था इनकार
पिछले साल नवंबर से ही पाकिस्तान के आईएमएफ प्रोग्राम को सस्पेंड कर दिया गया है। वित्त मंत्री इशाक डार ने आईएमएफ की उन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था जो कर्ज के लिए जरूरी थीं। डार ने इसके साथ ही बाजार की तरफ से तय एक्सचेंज रेट और वित्तीय घाटा कम करने के उपायों को लागू करने में असमर्थता जाहिर कर दी थी। वर्तमान वित्त वर्ष में पाकिस्तान के बजट में 7.4 खरब रुपए के राजस्व का लक्ष्य रखा गया था। इसमें से 52 फीदी कर्ज चुकाने और 33 फीसदी रक्षा और पेंशन के लिए था। ऐसे में पाकिस्तान के पास बहुत कम विकल्प थे कि वह घाटा कम कर सकता।
कंगाल पाकिस्तान पर भारी पड़ गई बाढ़, और बढ़ा दी फजीहत
पाकिस्तान में पिछले साल आई बाढ़ की वजह से अर्थव्यवस्था पर संकट और गहरा गया। इस बाढ़ की वजह से अर्थव्यवस्था को करीब 30 अरब डॉलर का चूना लगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की ओर से पाकिस्तान को नौ अरब डॉलर देने का ऐलान किया गया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा काफी खतरनाक है और सिर्फ तीन हफ्तों के आयात के लिए ही है। अगर आईएमएफ पाकिस्तान के साथ किसी समझौते पर पहुंच भी जाता है जो भी पैसा मिलने में समय लगेगा।