जिन्ना के देश पाकिस्तान में अब देश के अस्तित्व की लड़ाई लड़ी जा रही है। जब कंगाल मुल्क कर्ज के महासागर में डूबा हुआ है, तो इसे निकालने के लिए पाकिस्तान सरकार अपने दुश्मनों के आगे भी हाथ जोड़ने के लिए मजबूर हो गई है। पीएम शहबाज ने सभी दलों के नेताओं की मीटिंग बुलाई है। इसके लिए अन्य दलों के साथ पीएम शहबाज ने इमरान खान को भी भी बुलाया है। उनकी पार्टी को भी मीटिंग के लिए आमंत्रित किया गया है। पाकिस्तान की सियासत में शहबाज और इमरान की यह मीटिंग चौंकाने वाली है। वो इमरान जिन्होंने अपने ऊपर जानलेवा हमले के लिए शहबाज शरीफ पर आरोप लगाए थे। वहीं पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ भी मुल्क की बदहाली के लिए पूर्व की इमरान सरकार को जिम्मेदार मानते हैं।
विपक्ष बवाल खड़ा न करे, इसलिए शहबाज बुला रहे मीटिंग
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पिछले साल अप्रैल में सत्ता हासिल की थी। लेकिन सत्ता के सुख भोगने के बजाय वह मुल्क को ऐतिहासिक आर्थिक संकट से बाहर लाने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। उन्होंने इमरान खान पर अविश्वास प्रस्ताव लाकर सत्ता से बाहर किया था। वक्त ने कुछ ऐसी करवट ली कि शहबाज अब उन्हीं इमरान खान को आर्थिक और राजनीतिक संकट के समाधान तलाशने पर केंद्रित ऑल-पार्टी कान्फ्रेंस के लिए न्योता भेज रहे हैं। दरअसल शहबाज सरकार को चिंता सता रही है कि कर्ज पाने के लिए अगर वह आईएमएफ की शर्तें मानते हैं और अतिरिक्त टैक्स लागू करते हैं तो विपक्ष बवाल खड़ा कर सकता है।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा कि पाक पीएम सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों के साथ बैठक करना चाहते हैं ताकि वे साथ मिलकर मुल्क की चुनौतियों से निपटने के तरीके तलाश कर सकें। यह कॉन्फ्रेंस 7 फरवरी को इस्लामाबाद में होगी। उन्होंने कहा कि मंत्री अयाज सादिक ने पीटीआई के शीर्ष नेताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया है और उनसे आगामी बैठक में हिस्सा लेने के लिए कह रहे हैं।
एक-दूसरे के कट्टर विरोधी इमरान और शहबाज
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट नीत सरकार अी ओर से इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को बैठक के लिए निमंत्रण भेजना पाकिस्तान की सियासत में बड़ी हलचल है। लगभग सभी मुद्दों पर दोनों एक-दूसरे के खिलाफ रहते हैं, चाहें सत्ता किसी के भी हाथ में हो। ऐसे में इस कान्फ्रेंस के किसी नतीजे पर पहुंचने की उम्मीदें बेहद कम हैं। लेकिन ये सच है कि पाकिस्तान आज इन्हीं नेताओं की बदौलत कर्ज और आतंकवाद के दलदल में फंस गया है।