नई दिल्लीः नेपाल में सात पार्टियों के सत्तारूढ़ गठबंधन में एक प्रमुख भागीदार राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने राजनीतिक समीकरण में बदलाव का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है। गठबंधन सरकार का हिस्सा रहे आरपीपी के चार मंत्रियों ने शनिवार को प्रचंड को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इनमें पार्टी के अध्यक्ष और उप प्रधानमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री राजेंद्र लिंगदेन शामिल हैं। ‘काठमांडू पोस्ट’ की खबर के मुताबिक, शनिवार को पार्टी की केंद्रीय कार्यकारी समिति और सांसदों की एक संयुक्त बैठक में प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार और प्रांतीय सरकारों से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया। इससे पहले राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के मंत्री भी इस्तीफा दे चुके हैं और प्रचंड से अनबन चल रही है। ऐसे में प्रचंड की सरकार की मुश्किल बढ़ गई है।
आरपीपी प्रवक्ता मोहन कुमार श्रेष्ठ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘राजनीतिक समीकरण में अचानक बदलाव और सत्ताधारी सरकार के भीतर सहयोग को देखते हुए, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने सरकार से हटने का फैसला किया है।’’ पार्टी का मानना है कि हालिया बदलाव अंतर्निहित अस्थिरता के स्पष्ट संकेत हैं, और बदले हुए परिप्रेक्ष्य में पार्टी के लिए सत्ता में बने रहना अनुचित होगा।" ‘काठमांडू पोस्ट’ ने बयान के हवाले से बताया, ‘‘हमने सरकार को दिए गए समर्थन को वापस लेने का फैसला किया है और आज से सरकार हट गए हैं।’’ इसमें कहा गया, ‘‘पार्टी प्रांतीय सरकारों के संदर्भ में भी यही विश्वास रखती है और इसलिए, प्रांतीय सरकारों को दिए गए समर्थन को भी वापस लेने का फैसला किया गया है।’’ आरपीपी 275 सदस्यीय सदन में 14 सीटों के साथ प्रतिनिधि सभा में पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी है। माओवादी सेंटर के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री 'प्रचंड' ने सत्तारूढ़ गठबंधन के बाहर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन करके सत्ताधारी गठबंधन को झटका दिया है। अगले महीने की शुरुआत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव ने सात दलों के सत्तारूढ़ गठबंधन के भविष्य पर एक गंभीर सवालिया निशान लगा दिया है।
आरपीपी से पहले आरएसपी से हुई थी अनबन
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। आरपीपी से पहले उन्हें समर्थन देने वाली राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) से भी करीब 20 दिन पहले सरकार से अनबन हो चुकी है। आरएसपी के अध्यक्ष रबी लामीछाने को नेपाल के गृहमंत्री के पद पर पुन: आसीन करने से प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ द्वारा इनकार कर दिये जाने के बाद आरएसपी ने देश के सत्तारूढ़ गठबंधन से हट जाने का फैसला कर लिया था। इससे नेपाल की सियासत में नया मोड़ आ गया है। नेपाल के 275 सदस्यीय सभा में 138 सदस्यों की जरूरत बहुमत के लिए जरूरी है। प्रचंड ने कुल 169 सदस्यों का समर्थन पत्र राष्ट्रपति को सौंपा था। अब आरपीपी और आरएसपी के क्रमशः 14 और 20 सदस्य मिलाकर 34 सदस्य हो रहे हैं। आरीपीपी के समर्थन वापसी के बाद 155 सदस्य शेष हैं। यदि आरएसपी ने भी समर्थन वापस ले लिया था। प्रचंड के पास केवल 135 सदस्य ही शेष रह जाएंगे। ऐसे में सरकार अल्पमत में आ सकती है।
कुर्सी की जंग में लिया समर्थन वापस
आरएसपी के केंद्रीय सदस्यों एवं सांसदों की संयुक्त बैठक में नेपाल के सत्तारूढ़ दल से समर्थन वापसी का निर्णय लिया गया। लामीछाने (48) पिछले साल नवंबर में चुनाव में चितवन-2 निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार नेपाल के उच्चतम न्यायालय के 27 जनवरी के एक फैसले के बाद वह संसद की अपनी सदस्यता गंवा बैठे। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि संसदीय चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने जो नागरिकता प्रमाणपत्र जमा किया था वह अवैध है। इस अखबार के अनुसार ऐसे में उनका मंत्री पद एवं पार्टी अध्यक्ष पद भी चला गया, क्योंकि इन पदों पर आसीन रहने के लिए व्यक्ति का नेपाली नागरिक होना जरूरी है। इस अखबार के मुताबिक 29 जनवरी को उन्होंने पुन: नागरिकता हासिल की और उसके बाद प्रचंड से मिलकर उन्होंने मांग की कि उन्हें गृहमंत्री के पद पर पुन: आसीन किया जाए। मगर प्रधानमंत्री ने ऐसा करने से मना कर दिया।
उपप्रधानमंत्री थे लामिछाने
लामिछाने को पिछले साल 26 दिसंबर को नेपाल का उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री नियुक्त किया गया था। उससे पहले उनकी पार्टी आरएसपी संघीय चुनाव में 20 सीट जीतकर संसद में चौथी सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरी थी। टेलीविजन हस्ती लामिछाने 2013 में सबसे लंबे समय के टॉकशो की मेजबानी कर गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनाने की कोशिश की थी और तब सुर्खियों में आये थे। लामिछाने ने आरएसपी की केंद्रीय समिति की संयुक्त बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अतीत में भी उन्हें कई विवादों में फंसाने की कोशिश की गयी, लेकिन वह उनसे बाहर आने में सदैव सफल रहे। गठबंधन सरकार से हटने के आरएसपी के फैसले का प्रधानमंत्री प्रचंड के राजनीतिक भविष्य पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अखबार के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही आरएसपी ने अपने मंत्रियों को वापस बुलाने का निर्णय ले लिया हो लेकिन पार्टी इस सरकार को समर्थन देती रहेगी।
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