प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यहां जी20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और कई अन्य विश्व नेताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत की और कई मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन के एक सत्र को यहां संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन संकट के कारण उत्पन्न वैश्विक चुनौतियों ने दुनिया में तबाही मचा दी है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला ‘‘चरमरा’’ गई है।
भारत की जी20 की आगामी अध्यक्षता के संदर्भ में मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि जब ‘‘(गौतम) बुद्ध और (महात्मा) गांधी की धरती पर जी20 की बैठक होगी, तो हम सभी एक साथ विश्व को शांति का ठोस संदेश देंगे।’’ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक ट्वीट में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान बातचीत की।” पीएम मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनक से भी मुलाकात की। पिछले महीने सुनक के सत्ता संभालने के बाद से दोनों के बीच यह पहली आमने-सामने हुई बातचीत थी।
पीएम मोदी ने सुनक के साथ की चर्चा
पीएमओ ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऋषि सुनक ने चर्चा की।” पीएमओ ने ट्वीट किया, “राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत पर संक्षिप्त चर्चा हुई।” जी20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। उन्होंने सेनेगल के राष्ट्रपति और अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष मैकी साल से भी मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी ने नीदरलैंड के राष्ट्रपति मार्क रुट से भी मुलाकात की है।
भारत पर क्यों टिकी हैं दुनिया की निगाहें?
इस सम्मेलन के बाद भारत इसकी अध्यक्षता इंडोनेशिया से लेगा। भारत का कार्यकाल 1 दिसंबर, 2022 से शुरू होगा। पीएम मोदी ने जी-20 के लोगो का अनावरण करते हुए हाल ही में कहा था, 'भारत यह अध्यक्षता ऐसे समय में ले रहा है जब दुनिया में संकट है और अराजकता की स्थिति है। दुनिया इस समय सदी में एक बार आने वाली महामारी से जूझ रही है। इसके अलावा, अभी चल रहे संघर्ष और व्यापक आर्थिक अनिश्चितता हैं। कोरोना महामारी और अब रूस-यूक्रेन युद्ध का वैश्विक प्रभाव पड़ा है। इससे खाद्यान्न, उर्वरक, ऊर्जा, कर्ज, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसे संकट पैदा हो गए हैं।