ASEAN Summit: जी20 समिट से ठीक पहले इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आसियान सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जा रहे हैं। इस सम्मेलन में खासतौर पर एशियाई क्षेत्र में चीन की दादागीरी को रोकने पर मंथन होगा। चीन दक्षिण चीन सागर में अपना दबदबा बनाने के लिए सागरीय क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना रौब झाड़ता है। उसकी अकड़ ढीली करने को लेकर विचार मंथन आसियान समिट का खास मुद्दा रहेगा। साथ ही म्यांमार में हो रही हिंसा पर भी विचार मंथन होगा। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो की अगुवाई में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के नेता इस साल जब अपने आखिरी शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित होंगे, तो वे म्यांमा के हिंसक गृह युद्ध, विवादित दक्षिण चीन सागर में नई घटनाओं और अमेरिका-चीन के बीच लंबे समय से चल रही शत्रुता जैसे मुद्दों से घिरे हुए होंगे। ये ऐसे मुद्दे हैं जिसका निकट भविष्य में कोई समाधान मुश्किल नजर आ रहा है। दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संघ (आसियान) की बैठक इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में कड़ी सुरक्षा के बीच मंगलवार से शुरू होगी।
जो बाइडेन की जगह अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस लेंगी हिस्सा
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन इसमें हिस्सा नहीं लेंगे, जबकि आमतौर पर वह आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेते आए हैं। उनके स्थान पर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस इसमें शामिल होंगी। मंगलवार को चर्चा के बाद आसियान देशों के नेता बुधवार से बृहस्पतिवार तक एशियाई और पश्चिमी देशों के अपने समकक्षों के साथ बैठक करेंगे। अमेरिका और चीन तथा उनके सहयोगी देशों ने इस बैठक का इस्तेमाल मुक्त व्यापार, जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक सुरक्षा पर व्यापक बातचीत के लिए किया है। यह उनकी प्रतिद्वंद्विता के लिए युद्ध का मैदान भी बनी है।
इसलिए आसियान समिट में नहीं जा रहे बाइडेन
चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के साथ-साथ इन बैठकों में भाग लेने की संभावना है। वह अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव से मुलाकात करेंगे। आसियान सम्मेलन में शामिल होने की जगह बाइडेन जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत जाएंगे और फिर संबंधों को मजबूत करने के लिए वियतनाम की यात्रा करेंगे।
इंडोनेशिया के पूर्व विदेशमंत्री ने किस बात पर जताई निराशा?
वाशिंगटन ने स्पष्ट किया है कि बाइडन भूराजनीतिक प्राथमिकताओं के आधार पर इस समूह को निचले पायदान पर नहीं धकेल रहे हैं और वह क्षेत्र के साथ अमेरिकी भागीदारी को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इंडोनेशिया के पूर्व विदेश मंत्री मार्टी नतालेगावा ने बाइडेन के आसियान शिखर सम्मेलन में भाग न लेने पर निराशा जताई है और कहा है कि ऐसे कदम आसियान की घटती प्रासंगिकता के लिए और चिंताजनक हैं।
जानिए आसियान के क्या हैं नियम कायदे?
शीतयुद्ध के काल में 1967 में स्थापित आसियान प्रत्येक सदस्य देश के घरेलू मामलों में दखल न देने के सिद्धांत पर अमल करता है। यह सर्वसम्मति से निर्णय लेता है, जिसका मतलब है कि कोई भी सदस्य किसी प्रतिकूल निर्णय या प्रस्ताव को अस्वीकार कर सकता है। इन नियमों ने नये लोकतंत्रों से लेकर रूढ़िवादी राजतंत्रों तक को इसकी ओर आकर्षित किया है, लेकिन साथ ही इसने समूह को राज्य प्रायोजित अत्याचारों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने से भी रोका है।
कौन कौन है आसियान के सदस्य देश
अभी ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम आसियान के सदस्य हैं। नतालेगावा ने कहा कि म्यांमा की सैन्य सरकार को मानवाधिकार उल्लंघनों से रोकने में आसियान की विफलता और विवादित दक्षिण चीन सागर में फिलीपीन की एक आपूर्ति नौका को चीनी तटरक्षक बल द्वारा रोके जाने पर उसकी चुप्पी ने इस समूह की प्रासंगिकता पर सवालिया निशान खड़े किए हैं।