Tuesday, November 05, 2024
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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और फ्रांस की मौजूदगी से चीन को चिंता, ड्रैगन की हर साजिश होगी नाकाम

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और फ्रांस की सुरक्षा और स्थिरता के लिए हुई रक्षा साझेदारी ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। चीन दक्षिण चीन सागर पर पहले से ही अपना आधिपत्य जमाता रहा है। अब वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी अस्थिरता पैदा करने का प्रयास कर रहा है। मगर इन दोनों देशों ने ड्रैगन की मंशा पर पानी फेरना शुरू कर दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: February 14, 2023 19:00 IST
पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों- India TV Hindi
Image Source : FILE पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों

नई दिल्ली। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और फ्रांस की सुरक्षा और स्थिरता के लिए हुई रक्षा साझेदारी ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। चीन दक्षिण चीन सागर पर पहले से ही अपना आधिपत्य जमाता रहा है। अब वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी अस्थिरता पैदा करने का प्रयास कर रहा है। मगर इन दोनों देशों ने ड्रैगन की मंशा पर पानी फेरना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत और फ्रांस मिल कर हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा व स्थिरता के अलावा वैश्विक खाद्य व स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं।

भारत की एयर इंडिया और फ्रांस के एयरबस के बीच विमान खरीदने संबंधी समझौते के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर और बहुपक्षीय प्रणाली की स्थिरता और संतुलन सुनिश्चित करने में भारत-फ्रांस भागीदारी प्रत्यक्ष भूमिका निभा रही है। इस कार्यक्रम के दौरान एयर इंडिया ने एयरबस से 250 विमान खरीदने की घोषणा की है। इनमें 40 बड़े आकार के विमान शामिल होंगे। इन विमानों की खरीद के लिए एयरबस के साथ आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों भी मौजूद थे।

भारत-फ्रांस के के बीच समझौते की पीएम ने की सराहना

टाटा समूह ने पिछले साल जनवरी में एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था। प्रधानमंत्री ने इस समझौते को ‘‘मील का पत्थर’’ बताया और कहा कि यह ‘‘महत्वपूर्ण करार’’ भारत और फ्रांस के गहराते संबंधों के साथ-साथ भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र की सफलताओं और आकांक्षाओं को भी दर्शाता है। उन्होंने इस करार की सराहना करते हुए कहा कि भारत के बढ़ते विमानन क्षेत्र को अगले 15 साल में 2,000 से अधिक विमानों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘‘चाहे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता का विषय हो या वैश्विक खाद्य सुरक्षा व स्वास्थ्य सुरक्षा... भारत और फ्रांस साथ मिलकर सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इस वर्ष द्विपक्षीय संबंध और भी नई ऊंचाइयों को छू लेंगे। 

भारत को चाहिए होंगे 2000 से अधिक विमान
विमानों के इंजन की सर्विसिंग के लिए भारत में सबसे बड़े सुविधा केंद्र की स्थापना का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि आज ‘‘अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और बहुपक्षीय प्रणाली’’ की स्थिरता और संतुलन सुनिश्चित करने में भारत-फ्रांस भागीदारी प्रत्यक्ष भूमिका निभा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत का नागरिक उड्डयन क्षेत्र देश के विकास का अभिन्न हिस्सा है और इसे मजबूत करना सरकार की राष्ट्रीय अवसंरचना रणनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में भारत में हवाई अड्डों की संख्या 74 से बढ़कर 147 हो गई है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय संपर्क योजना उड़ान के माध्यम से देश के सुदूर हिस्सों को भी हवाई मार्ग से जोड़ा जा रहा है, जिससे लोगों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘निकट भविष्य में भारत इस क्षेत्र में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनने जा रहा है। एक आकलन के अनुसार, भारत को अगले 15 वर्षों में 2,000 से अधिक विमानों की आवश्यकता होगी।’’ 

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