G-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जापान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिरोशिमा के मंच से दुनिया को बड़ा संदेश दिया है। भारत ने वियतनाम से इस दौरान द्विपक्षीय वार्ता के दौरान प्रमुख रक्षा साझीदारों के तौर पर वर्णित किया है। बता दें कि वियतनाम ब्राजील और भारत जैसे ताकतवर देशों की तरह उभरता हुआ देश है। खास बात है कि यह चीन का दुश्मन है। ऐसे में भारत और वियतनाम की साझेदारी से चीन को चिंता होने लगी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को यहां वियतनाम के अपने समकक्ष फाम मिन्ह चिन्ह के साथ व्यापक बातचीत की और व्यापार, निवेश, रक्षा तथा ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
दोनों नेताओं ने हिरोशिमा में जी-7 समूह के शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की। विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘संबंधों को नए स्तर पर लेकर जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह के बीच व्यापक चर्चा हुई।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, रक्षा, लचीली आपूर्ति शृंखलाएं बनाने, ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन विकास, संस्कृति तथा लोगों के बीच परस्पर संबंधों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के साथ ही क्षेत्रीय घटनाक्रम पर भी चर्चा की गई।
हिंद-प्रशांत और दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागीरी होगी कम
आसियान देशों में ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपीन, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम शामिल हैं। अमेरिका, भारत और दुनिया के कई अन्य देश संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति की पृष्ठभूमि में इस क्षेत्र को मुक्त और खुला बनाने की आवश्यकता के बारे में बात कर रहे हैं। चीन, दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी हिस्सों पर अपना दावा जताता है, जबकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके हिस्सों पर दावा जताते हैं। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन के तीन सत्रों में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को हिरोशिमा पहुंचे थे। भारत का मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र से लेकर दक्षिण-चीन सागर तक में चीन की दादागीरी को खत्म कर अन्य देशों के लिए सामान्य अवसर उपलब्ध कराना है। भारत और अमेरिका व आस्ट्रेलिया, जापान जैसे ताकतवर देश मिलकर इसके लिए काम कर रहे हैं।
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