नयी दिल्ली: फिजी में श्री सत्य साई संजीवनी चिल्ड्रन हार्ट अस्पताल का वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह उम्मीद जताई कि आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत और फिजी के रिश्ते आपसी सम्मान और सहयोग पर टिके हैं तथा पिछले कुछ दशकों में दोनों के रिश्ते हर क्षेत्र में आगे बढ़े हैं और मजबूत हुए हैं। इस अवसर पर फिजी के उनके समकक्ष फ्रेंक बेनीमरामा और साई प्रेम फाउंडेशन से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अस्पताल दोनों देशों के पारस्परिक रिश्तों और प्रेम का एक और प्रतीक है तथा ये भारत और फिजी की साझा यात्रा का एक और अध्याय है।
भारत-फिजी के रिश्ते हर क्षेत्र में लगातार आगे बढ़े हैं
प्रधानमंत्री ने कहा, 'मुझे विश्वास है, ये हॉस्पिटल फिजी और इस पूरे क्षेत्र में सेवा का एक मजबूत अधिष्ठान बनेगा और भारत-फिजी रिश्तों को नई ऊंचाई देगा। दोनों देशों के बीच विशाल समुद्र जरूर है लेकिन हमारी संस्कृति ने हमें एक दूसरे से जोड़कर रखा है। उन्होंने कहा, 'हमारे रिश्ते आपसी सम्मान, सहयोग और हमारे लोगों के मजबूत आपसी सम्बन्धों पर टिके हैं। बीते दशकों में भारत-फिजी के रिश्ते हर क्षेत्र में लगातार आगे बढ़े हैं और मजबूत हुए हैं। फिजी और प्रधानमंत्री बेनीमरामा के सहयोग से हमारे ये रिश्ते आने वाले समय और भी मजबूत होंगे। मानव मात्र की सेवा और जीव मात्र का कल्याण यही भारत के संसाधनों का एक मात्र उद्देश्य है और इन्हीं मूल्यों पर भारत और फिजी की साझी विरासत खड़ी हुई है।'
सत्य साई बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की
उन्होंने कहा कि इन्हीं आदर्शों पर चलते हुये कोरोना महामारी जैसे कठिन समय में भी भारत ने अपने कर्तव्यों का पालन किया है। 'वसुधैव कुटुंबकम्' यानी पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हुये भारत ने दुनिया के 150 देशों को दवाएं भेजीं, जरूरी सामान भेजा। अपने करोड़ों नागरिकों की चिंता के साथ साथ भारत ने दुनिया के अन्य देशों के लोगों की भी चिंता की। हमने करीब-करीब 100 देशों को 100 मिलियन के आसपास टीके भेजे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रयास में भारत ने फिजी को अपनी प्राथमिकता में रखा। उन्होंने इस अवसर पर सत्य साई बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित करते उनके कार्यों की सराहना की और कहा कि मानवता की सेवा के लिए उनके द्वारा रोपा गया बीज आज वटवृक्ष के रूप में लोगों की सेवा कर रहा है। इनपुट-भाषा