Brahmos and Philippines: क्षिण चीन सागर में चीन की अकड़ ढीली होने जा रही है। दक्षिण पूर्वी एशियाई देश फिलीपींस को अगले महीने चीन का काल बनने वाली मिसाइल ‘ब्रह्मोस‘ मिलने जा रही है। यह भारत का ब्रह्मास्त्र है। इसके आगे अच्छे अच्छे देशों की सेनाओं की अकड़ ढीली हो जाती है। क्योंकि इस सुपरसोनिक मिसाइल से दुश्मन पर जमीन से लेकर समुद्र और हवा तक मार करके लक्ष्य को नेस्तनाबूत किया जा सकता है।
फिलीपींस को भारत देगा एंटी शिप मिसाइलें
ब्रह्मोस दुश्मनों का काल है। यही कारण है कि खुद भारतीय सेनाएं चीन से निपटने के लिए ब्रह्मोस का जखीरा जमा कर रही हैं। फिलीपींस ने दो साल पहले भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का समझौता किया था। इसके तहत भारत को फिलीपींस से 37 करोड़ 50 लाख डॉलर की राशि मिलेगी। भारत फिलीपींस को 3 बैटार एंटी शिप ब्रह्मोस मिसाइल देने जा रहा है। इसे हवा, जमीन और पानी से दागा जा सकता है।
चीन और फिलीपींस में बढ़ रही तनातनी
भारत और फिलीपीन्स दोनों ही चीन की बढ़ती आक्रामकता से जूझ रहे हैं। फिलीपींस अमेरिका का सबसे पुराना सहयोगी है और दोनों के बीच समझौता भी हुआ है। भारत और अमेरिका दोनों को चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और दक्षिण चीन सागर में विवादित इलाकों पर दबाव बनाने की वजह से चिंता है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि फिलीपींस दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद खुद को मजबूत करना चाहता है। ऐसे में करीब 400 किमी तक मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें फिलीपींस को अपने समुद्री क्षेत्र की रक्षा करने में मदद करेंगी।
फरवरी की शुरुआत में पहुंच जाएंगे आवश्यक तकनीकी सिस्टम
डीआरडीओ के मुताबिक ब्रह्मोस मिसाइल को तैनात करने के लिए जरूरी जमीनी सिस्टम फरवरी के शुरू में फिलीपींस पहुंच जाएंगे। वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्रह्मोस सिस्टम को पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए और भी चीजें अभी जरूरी हैं। इसमें लक्ष्य तय करने में मदद करने वाले हवाई जहाज और युद्धपोत। फिलीपींस को उम्मीद है कि ब्रह्मोस मिसाइलें चीन को स्प्रैटली द्वीपसमूह पर कब्जा करने से रोकेंगी।