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"जब तक चीन नहीं करेगा ये काम...तब तक शांति की कोई गुंजाइश नहीं", LAC विवाद पर बोले जयशंकर

भारत और चीन गत 4 वर्षों से तनाव के चरम पर हैं। दोनों देशों के रिश्ते 2020 में गलवान घाटी हिंसा के बाद से ही नाजुक चल रहे हैं, जिसमें सुधार की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिख रही। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि जब तक चीन सीमा समझौतों का पालन नहीं करता, तब तक एलएसी पर शांति संभव नहीं है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: March 03, 2024 12:46 IST
भारत-चीन सीमा (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : AP भारत-चीन सीमा (फाइल)

भारत-चीन के बीच वर्ष 2020 से ही तनाव चरम पर बना हुआ है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति के लिए दोनों देशों के बीच हुई 20 से अधिक सैन्य वार्ताएं भी विफल रही हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच तनाव पीक पर है। इस बीच विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी सैन्य गतिरोध को लेकर बड़ा बयान दिया। जयशंकर ने शनिवार को कहा कि चीन को सीमा प्रबंधन समझौतों का पालन करना चाहिए और भारत-चीन संबंधों में सुधार के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति का माहौल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक चीन इस समझौते का पालन नही करता, तब तक सीमा पर शांति संभव नहीं है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक ‘थिंकटैंक’ के संवाद सत्र में कहा कि मोदी सरकार सीमा पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच संबंधों में संतुलन होना चाहिए। जयशंकर ने चीन से निपटने को लेकर एक व्यापक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि भारत ने अतीत में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का उतना प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं किया, जितना वह कर सकता था। मगर अब मौजूदा सरकार इसमें कोई कोताही नहीं कर रही। विदेश मंत्री ने चीन से उत्पन्न चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्रों समेत विभिन्न क्षेत्रों में एक मजबूत देश बनने की भारत की आवश्यकता को रेखांकित किया।

चीन को करना होगा समझौते का पालन

भारत-चीन के बीच गलवान घाटी हिंसा के बाद से तनाव चरम पर है। इस बीच दोनों देशों के बीच कई बार सैन्य वार्ताएं हुई और दोनों पक्षों ने सीमा पर सैनिकों के जमावड़े को कम किया। बावजूद स्थाई शांतिके लिए अब तक कोई समाधान नहीं खोजा जा सका है।  जयशंकर ने कहा, “एक संतुलन होना चाहिए और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति होनी चाहिए, जो समझौते हुए हैं उनका पालन करना होगा।”(भाषा) 

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