Thursday, July 04, 2024
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दक्षिण कोरिया में पैरेंट्स खुद को छोटे कमरों में कर रहे हैं बंद, हैरान करने वाली है वजह

कई बार पैरेंट्स के लिए अपने बच्चों को पूरी तरह से समझ पाना एक चुनौती होती है। ऐसे में दक्षिण कोरिया में कुछ अलग ही चल रहा है। यहां पैरेंट्स अपनी मर्जी से एक कमरे में खुद को बंद कर रहे हैं।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Updated on: July 03, 2024 16:15 IST
south korea Happiness Factory (सांकेतिक तस्वीर)- India TV Hindi
Image Source : FILE AP south korea Happiness Factory (सांकेतिक तस्वीर)

South Korea Happiness Factory: कई बार अकेला रहने या फिर एकांत में रहने से मन शांत होता है साथ ही समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है। भागदौड़ भरी जिंदगी में सुकून के कुछ पल लोगों को मानसिक तौर पर भी तरोताजा कर देते हैं। एकांत में रहना कितना फायदेमंद हो सकता है, काफी हद तक यह व्यक्ति की मेंटल स्ट्रेन्थ पर भी निर्भर करता है। सभी की परिस्थिति अलग होती है और ऐसे में दक्षिण कोरिया में कुछ अलग ही चल रहा है। दक्षिण कोरिया में पैरेंट्स क्या कर रहे हैं चलिए आपको बताते हैं। 

नहीं रख सकते फोन और लैपटॉप 

दक्षिण कोरिया में कई पैरेंट्स इन दिनों खुद को 'हैप्पीनेस फैक्ट्री' में कैद कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हैप्पीनेस फैक्ट्री में बने छोटे-छोटे कमरों में उन्हें लैपटॉप और फोन रखने की अनुमति नहीं होती है। यहां पर कमरे के दरवाजे में 'फीडिंग होल' बने होते हैं जिससे वो दुनिया के बाहर का आभास कर सकते हैं। यहां पैरेंट्स को नीली यूनिफॉर्म पहनाई जाती है और कमरे में उनके साथ होती है तो सिर्फ खामोशी।

क्या हासिल कर पाते हैं पैरेंट्स

हैप्पीनेस फैक्ट्री में खुद को कैद करने वाले वो लोग होते हैं जिनके बच्चे दूसरों से घुलने-मिलने की बजाय अकेले रहना पसंद करते हैं। ऐसे में पैरेंट्स हैप्पीनेस फैक्ट्री में कैद रहते हैं, जिससे पता चल सके कि दुनिया की चहल-पहल से दूर एकांत में समय बिताने पर कैसा महसूस होता है। हैप्पीनेस फैक्ट्री में वक्त बिताने वाले पैरेंट्स का कहना है कि ऐसा करने के बाद अब वो अपने बच्चों की भावनाओं को अच्छे तरीके से समझ पा रहे हैं। 

यह भी जानें 

हैप्पीनेस फैक्ट्री की अवधारणा से जुड़ा कार्यक्रम 'कोरिया यूथ फाउंडेशन' और 'ब्लू व्हेल रिकवरी सेंटर' नाम की दो गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मकसद माता-पिता को यह बताना है कि वो एकांत में रह रहे अपने बच्चों के साथ कैसे बेहतर तरीके से संवाद कर सकते हैं। बता दें कि, बीते साल दक्षिण कोरिया की हेल्थ एंड वेलफ़ेयर मिनिस्ट्री ने एक सर्वे किया था। 19 से 34 साल के युवाओं के बीच किए गए इस सर्वे में पाया गया था कि इसमें हिस्सा लेने वाले 5 प्रतिशत लोग एकांत में रहना पसंद करते हैं। 

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