Pakistan News: पाकिस्तान में हाल ही में कॉलेज कैंपस में होली महोत्सव न मनाने का निर्देश दिया गया था। इस पर छात्रों काफी विरोध किया था। इसे अल्पसंख्यकों के प्रति ज्यादती करार दिया था। सिंधी लोगों ने इसे सिंधी कल्चर बताया था। अब इन सबके बाद पाकिस्तान में एक बारि फिर होली मनाने पर आपत्ति वापस लेने की बात कही जा रही है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की रणनीतिक सुधार इकाई के प्रमुख सलमान सूफी ने कहा कि शिक्षा मंत्री राणा तनवीर हुसैन ने उच्च शिक्षा आयोग (एचईसी) से उस अधिसूचना को वापस लेने के लिए कहा है, जिसमें विश्वविद्यालय में होली मनाने पर आपत्ति जताई थी। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, अधिसूचना के बारे में मीडिया में खबर आने के बाद सूफी ने ट्वीट किया, राणा तनवीर साहब से बात हुई है और उन्होंने धार्मिक त्योहारों को हतोत्साहित करने वाली एचईसी की अधिसूचना पर कड़ा संज्ञान लिया है और उन्हें इसे वापस लेने के लिए कहा है।
अधिसूचना एचईसी के कार्यकारी निदेशक शाइस्ता सोहेल द्वारा कुलपतियों और संस्थानों के प्रमुखों को भेजी गई थी। अपने पत्र में, एचईसी ने दावा किया कि विश्वविद्यालय के मंच से होली मनाने की रिपोर्ट से देश की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
हालांकि एचईसी के पत्र में संबंधित विश्वविद्यालय का नाम नहीं बताया गया है, लेकिन यह इस्लामाबाद में कायद-ए-आजम विश्वविद्यालय द्वारा 8 मार्च को आयोजित होली के लिए एक कार्यक्रम की मेजबानी के लिए सोशल मीडिया पर ध्यान आकर्षित करने के बाद आया है। सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे एक वीडियो में, छात्रों को तेज संगीत की पृष्ठभूमि में नाचते, गाते और हवा में रंग फेंकते देखा जा सकता है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, एचईसी के पत्र से देशवासियों में नाराजगी छाई।
होली, दिवाली सिंधी संस्कृति का हिस्सा
सिंधी पत्रकार वींगस ने कहा कि इस्लामाबाद को यह समझने की जरूरत है कि हिंदू त्योहार होली और दिवाली सिंधी संस्कृति का हिस्सा हैं। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, इस्लामाबाद न तो हमारी सिंधी भाषा को स्वीकार करता है और न ही हिंदू त्योहारों का सम्मान करता है।
डॉन के पूर्व संपादक अब्बास नासिर ने कहा, एचईसी को पीएचडी द्वारा चोरी किए गए पेपरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि ये वास्तव में देश की छवि को खराब करते हैं। होली और ऐसे अन्य त्योहार देश की छवि को बढ़ाते हैं।