Pakistan News: पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय पर लगातार सख्ती हो रही है। ताजा मामला पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से आया है। यहां पुलिस और इस्लामिक कट्टरपंथियों ने अहमदी समुदाय से संबंतिधत 75 कब्रों और इस समुदाय के दो धार्मिक स्थलों की मीनारों को ध्वस्त कर दिया। इस संबंध में जमात-ए-अहमदिया जो अल्प संख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन है, इसके प्रमुख पदाधिकारी आमिर महमूद ने रविवार को बताया, तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के दबाव में आकर पुलिस ने लाहौर से करीब 100 किलोमीटर दूर पंजाब के सियालकोट जिले के दस्का शहर में मकबरों के पत्थरों को नष्ट करके अहमदियों की 74 कब्रों को नुकसान पहुंचाया।
वहीं दस्का में अब भी तनाव छाया हुआ है, क्योंकि टीएलपी ने अहमदिया समुदाय के एक ऐतिहासिक धर्म स्थल की मीनारों को गिराने की धमकी दी है। पुराने दस्का शमर में बने इस धर्म स्थल को विभाजन से पहले पाकिस्तन के पहले विदेश मंत्री सर है क्योंकि टीएलपी ने अहमदी समुदाय के एक ऐतिहासिक धर्म स्थल की मीनारों को भी गिराने की धमकी दी है. पुराने दस्का शहर में स्थित इस धर्म स्थल का निर्माण विभाजन से पहले जफरुल्लाह खान ने करवाया था। वे पाकिस्तान आंदोलन के सदस्य भी रहे थे। दो अलग-अलग घटनाओं के तहत पंजाब के शेखपुरा और नारंग मंडी इलाके में अहमदियों के धार्मिक स्थलों की मीनारों को ध्वस्त कर दिया गया।
पंजाब प्रांत के विभिन्न जिलों में तीन इबादतगाहों को तोड़ने का मामला
इससे पहले पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के अलग अलग जिलों में इस्लामिक संगठनों के मेंबर्स ने अल्पसंख्यक समुदाय अहमदिया मुसलमानों की तीन इबादतगाहों की मीनारों को तोड़ने की घटना हुई। इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए करीब दो सप्ताह पहले भी अहमदिया समुदाय की एक इबादतगाह की मीनारों को तोड़ दिया गया था। हाईकोर्ट ने 1984 से पहले अल्पसंख्यक समुदाय के धर्मस्थलों के खिलाफ इस तरह के कृत्यों पर रोक लगा दी थी।
1974 में अहमदिया समुदाय को करार दिया था गैर मुस्लिम
पाकिस्तान की संसद ने 1974 में अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था। यहां तक कि उन पर खुद को मुस्लिम कहने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। ‘जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान’ के पदाधिकारी आमिर महमूद के अनुसार हाल के समय में शेखपुरा, बहावलनगर और बहावलपुर जिलों में अहमदिया समुदाय की इबादतगाहों की मीनारों को मुस्लिम मस्जिद जैसा बताते हुए तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के कार्यकर्ता उनमें घुसे और उन मीनारों को तोड़ दिया। दरअसल, अहमदिया समुदाय पर उपदेश देने और सऊदी अरब जाकर हज व उमरा करने पर रोक है। पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लोगों की संख्या करीब 10 लाख है, जबकि गैर-आधिकारिक आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है।