Highlights
- पाकिस्तान में हकीकी आजादी मार्च निकलेंगे इमरान
- देश को सच्ची आजादी दिलाने की बात कही
- प्रदर्शनों से निपटने के लिए पुलिस ने तैयारी की
Imran Khan-Hakiki Azadi: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से नेशनल असेंबली को भंग करने और देश में नए सिरे से चुनाव कराए जाने की मांग को लेकर इस सप्ताह के अंत में एक और बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी करने को कहा है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख खान ने अपने बानी गाला स्थित आवास पर हुई बैठक के दौरान ‘हकीकी आजादी मार्च’ का आह्वान किया। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक, पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा कि खान पैगंबर मुहम्मद की जयंती नौ अक्टूबर के बाद किसी भी समय रैली की घोषणा कर सकते हैं।
यहां हकीकी आजादी का मतलब आजादी मार्च है। इसमें हकीकी शब्द का मतलब वास्तविक या सच्चा होता है। इमरान खान का कहना है कि वह देश को वास्तविक आजादी दिलाना चाहते हैं। अखबार ने खान के हवाले से कहा, ‘इस बार रैली पूरी तैयारी के साथ निकाली जाएगी।’ उल्लेखनीय है कि 25 मई को ‘आजादी मार्च’ के बाद यह खान की दूसरी बड़ी रैली होगी। ‘आजादी मार्च’ को उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं के संघीय राजधानी में पहुंचने के बाद अंतिम समय में अचानक खत्म कर दिया गया था।
अखबार की खबर के अनुसार, खान ने कहा कि रैली शुरू होने से पहले उनके कार्यकर्ताओं को विशेष निर्देश जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘आप (कार्यकर्ता) तैयार रहें, मैं आपको रैली के लिए बुलाऊंगा। इस बार हम पूरी तैयारी के साथ आएंगे।’ खान ने कहा कि गठबंधन सरकार के खिलाफ उनका यह ‘अंतिम’ आह्वान होगा और इसके बाद वह और रैलियां नहीं करेंगे। इस बीच, राजधानी क्षेत्र की पुलिस ने खान के ‘हकीकी आजादी मार्च’ के मद्देनजर आंसू गैस के 40,000 गोले तैयार रखे हैं।
आपको बता दें इमरान खान ऐसे वक्त पर मार्च निकाल रहे हैं, जब वह तमाम तरह की मुसीबतों में फंसे हुए हैं। वह मुश्किल से अदालत की अवमानन के आरोपों से बचे हैं। उनका एक ऑडियो लीक हुआ है, जिसके बाद कैबिनेट ने उनके खिलाफ जांच कराए जाने को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा महिला न्यायाधीश को धमकी देने के मामले में खान के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था, लेकिन अदालत ने उन्हें शुक्रवार तक के लिए अंतरिम जमानत दी है।
अवमानना के आरोपों से बचे
इमरान खान न्यायालय की अवमानना के आरोपों में सोमवार को बच गए। दरअसल, यहां की एक अदालत ने एक महिला न्यायाधीश को धमकी देने से जुड़े एक मामले में उनका लिखित जवाब स्वीकार कर लिया और उन्हें जारी किया गया कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले के साथ 2023 में प्रस्तावित अगले आम चुनाव में खान की संभावित अयोग्यता टल गई है। खान सोमवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए, जहां मामले की सुनवाई पांच सदस्यीय वृहद पीठ ने की। पीठ के अध्यक्ष इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्ला थे। पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी, मियांगुल हसन औरंगजेब, तारिक महमूद जहांगीरी और बाबर सत्तार शामिल थे।
सुनवाई के दौरान, खान के वकील ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल ने कारण बताओ नोटिस के पहले दिए गए दो जवाब असंतोषजनक करार दिए जाने के बाद तीसरा जवाब सौंपा। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश मिनाल्ला ने कहा कि पीठ खान की माफी और आचरण से संतुष्ट है। खान ने अपने सहयोगी शहबाज गिल के साथ किए गए बर्ताव को लेकर 20 अगस्त को इस्लामाबाद में एक रैली के दौरान शीर्ष पुलिस अधिकारियों, चुनाव आयोग और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मामले दर्ज कराने की धमकी दी थी। गिल को राजद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया था। उन्होंने गिल की दो दिनों की हिरासत की मंजूरी देने वाली अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी के बारे में कहा था कि उन्हें (न्यायाधीश को) खुद को तैयार करना चाहिए, क्योंकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
महिला न्यायाधीश के खिलाफ अपनी विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर पिछले महीने खान ने उच्च न्यायालय के समक्ष माफी मांग ली थी और वादा किया था कि वह भविष्य में फिर ऐसा नहीं करेंगे। खान ने दो दिन पहले अदालत में दाखिल किए गये एक हलफनामे में अदालत को आश्वस्त किया था कि वह अदालत और न्यायपालिका, खासतौर पर निचली न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए भवष्य में कभी कुछ नहीं कहेंगे। खान न्यायाधीश चौधरी से व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने के लिए तीन दिन पहले भी इस्लामाबाद की निचली अदालत में उपस्थित हुए थे, हालांकि न्यायाधीश उस वक्त मौजूद नहीं थीं।
क्रिकेटर से नेता बने खान 2018 में सत्ता में आए थे। अविश्वास प्रस्ताव मतदान में पराजित होने के बाद अप्रैल में वह अपदस्थ हो गए थे। वह पाकिस्तान के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्हें संसद में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए अपदस्थ किया गया।