Highlights
- पाकिस्तान को 1971 के युद्ध के दौरान अत्यधिक अत्याचार करने के लिए बांग्लादेश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए: मोमेन
- पाकिस्तान को 1971 में बंगालियों के खिलाफ किए गए अत्याचारों के लिए माफी नहीं मांगने के लिए ‘शर्मिंदा’ होना चाहिए: मोमेन
- पाकिस्तानी सेना की बर्बर कार्रवाई में लगभग 30 लाख निर्दोष बंगाली और 1.5 लाख के आसपास बिहारी नागरिक मारे गए थे।
ढाका: बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए. के. अब्दुल मोमेन ने शनिवार को ढाका में कहा कि पाकिस्तान को 1971 के युद्ध के दौरान अत्यधिक अत्याचार करने के लिए बांग्लादेश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के घिनौने कृत्यों के खिलाफ इस्लामाबाद में भविष्य की सरकारों के लिए माफी एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी। ‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार 52वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ढाका में विदेश सेवा अकादमी को संबोधित करते हुए मोमेन ने कहा कि पाकिस्तान को 1971 में बंगालियों के खिलाफ किए गए अत्याचारों के लिए माफी नहीं मांगने के लिए ‘शर्मिंदा’ होना चाहिए।
‘उम्मीद है कि आने वाली पीढ़ी माफी मांगेगी’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘उस समय, पाकिस्तान की सेना ने जघन्य अपराध और नरसंहार किया था। यहां तक कि पाकिस्तानी सरकार की रिपोर्ट भी कहती है कि उनकी यातना अत्यधिक थी। उन्होंने सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन किया था।’ मोमेन ने कहा कि इस्लामाबाद में सरकार भविष्य के वर्षों में फिर से वही गलतियां कर सकती है, अगर वह 1971 में की गई गलतियों को नहीं सुधारती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान की अगली पीढ़ी आगे आएगी और अपने पूर्वजों के अपराधों के लिए माफी मांगेगी।
पाकिस्तानी सेना ने की थी लाखों लोगों की हत्या
बता दें कि पाकिस्तान ने 1971 की जंग के दौरान बांग्लादेश के लोगों पर जमकर अत्याचार किए थे। विभिन्न आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना की बर्बर कार्रवाई में लगभग 30 लाख निर्दोष बंगाली और 1.5 लाख के आसपास बिहारी नागरिक मारे गए थे। पाकिस्तानी सेना के इसी ऑपरेशन के चलते बांग्लदेश की आजादी की मांग ने जोर पकड़ लिया और देश को आजादी दिलाने के लिए मुक्ति वाहिनी का गठन किया गया जिसमें सैनिक और आम नागरिक दोनों शामिल थे। आखिरकार, 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश दुनिया के नक्शे पर एक नए देश के रूप में सामने आया।