Pakistan News: पाकिस्तान में एक उच्च न्यायालय ने राजद्रोह के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी सहयोगी शहबाज़ गिल को गुरुवार को ज़मानत दे दी। गिल ने टीवी साक्षात्कार के दौरान एक विवादित टिप्पणी करते हुए सेना के अधिकारियों से आग्रह किया था कि वह अपने वरिष्ठों के आदेशों का पालन नहीं करें। इसके बाद नौ अगस्त को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। निचली अदालतों की ओर से ज़मानत आवेदनों को खारिज किये जाने के बाद, उन्होंने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह की सुनवाई की अध्यक्षता की।
मामले को राजनीति से प्रेरित बताया
गिल के वकील सलमान सफदर ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ मामला दुर्भावनापूर्ण इरादे से दर्ज किया गया है और राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा ‘जांच पूरी हो गई है, पूरा मामला एक भाषण पर आधारित था।‘ मुख्य न्यायाधीश ने सशस्त्र बलों के खिलाफ बोलने के मामले में गिल के वकील से तीखे सवाल पूछे, लेकिन वकील ने गिल के भाषण को पढ़ा और दलील दी कि याचिकाकर्ता ने उनके बयानों को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया है। उन्होंने कहा कि याची तो प्रभावित पक्ष भी नहीं है। इसके बाद अदालत का रुख नरम हुआ।
न्यायमूर्ति की टिप्पणी- गैर जिम्मेदाराना बयान से सशस्त्रबल नहीं होंगे कमजोर‘
न्यायमूर्ति मिनाल्लाह ने टिप्पणी की, ‘सशस्त्र बल इतने कमजोर नहीं हैं कि किसी के गैर जिम्मेदाराना बयान से उन्हें प्रभावित किया जा सके।‘ हालांकि उन्होंने कहा ‘गिल के गैर जिम्मेदाराना बयानों को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।‘ अदालत ने विशेष अभियोजक, राजा रिज़वान अब्बासी से पूछा कि ‘क्या जांच से यह पता चला है कि गिल ने विद्रोह को भड़काने के लिए किसी सैनिक से संपर्क किया था‘ अब्बासी ने कहा ‘गिल ने एक नहीं बल्कि सभी सैनिकों को उकसाया था।‘ इसके बाद न्यायाधीश ने कहा कि गिल को ज़मानत देने से इनकार करने के लिए ठोस सबूत नहीं है। ज़मानत प्रदान करते हुए न्यायाधीश ने उन्हें 50 हजार रुपये का ज़मानती मुचलका जमा करने को कहा।